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क्रिकेट का महायुद्ध

वर्ल्ड कप क्रिकेट 2011
वर्ल्ड कप क्रिकेट 2011
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भले ही यह वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला न हो लेकिन भारत-पाकिस्तान जब भी आमने-सामने होते हैं वह मुकाबला वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले से भी बड़ा हो जाता है.

 

“अगर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सब रोमांचित हुए थे तो अब रोमांच होगा दुगना क्योंकि यह है सभी मैचों का बाप”

 

india-vs-pakistanभारत-पाकिस्तान के सेमीफाइनल मुकाबले से पहले दो सवाल उठते हैं कि क्या भारत की टीम दबाव में है? या अभी तक सभी बड़ी टीमों के छक्के छुड़ाने वाली पाकिस्तानी क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप में पहली बार भारत को हरा पाएगी?

मैच से पहले ही मैच को राजनैतिक रंग मिल चुका है, सत्ता के रखवाले इस मंच की आड़ में कुछ ऐसे सवालों को सुलझाने की आस में लगे हैं जो आजादी के बाद से दोनों देशों के मध्य नफ़रत की दीवार खड़ी कर चुकी है.

राजनैतिक रंगमंच को एक किनारे रख अगर हम खेल की बात करें तो विशेषज्ञ भी यह आंकलन नहीं लगा पा रहे हैं कि जीत किसकी होगी. क्या टीम इंडिया के कप्तान कूल महेंद्र सिंह धोनी पाकिस्तान के आक्रमक कप्तान शाहिद अफरीदी के तूफानी वार को रोक पायेंगे? क्या पाकिस्तानी गेंदबाजों के पास भारतीय बल्लेबाजों का काट होगी? और कहीं यह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का आखिरी मैच तो नहीं?

भारतीय बल्लेबाज़ी बनाम पाकिस्तानी गेंदबाज़ी

हमेशा की तरह इस बार के वर्ल्ड कप में गेंदबाज़ी पाकिस्तान का सबसे अहम पहलू है. कनाडा के खिलाफ़ 200 रन के आंकड़े को न छूने वाली पाकिस्तानी टीम के गेंदबाजों ने आसान जीत हासिल की, यह पाकिस्तानी गेंदबाज़ ही थे जिन्होंने वर्ल्ड कप में 12 वर्ष से चले आ रहे ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ पर रोक लगाई. लेकिन अब पाकिस्तानी गेंदबाजों के सामने एक ऐसी टीम है जिसकी सबसे मजबूत कड़ी बल्लेबाज़ी है.

सचिन, सहवाग, गौतम, कोहली, धोनी, रैना और युवराज सिंह जिस टीम की बल्लेबाज़ी कमान में हों वह टीम पांच विकेट खोने के बाद भी किसी भी स्कोर का पीछा कर सकती है, जैसा हमने ऑस्ट्रेलिया के साथ मैच में देखा. यही नहीं, कप्तान धोनी को छोड़ सभी बल्लेबाज़ फॉर्म में भी हैं.

पाकिस्तानी गेंदबाज़ी की मुख्य धार उनकी स्पिन गेंदबाज़ी है, जिसका नेतृत्व उनके कप्तान अफरीदी कर रहे हैं. अफरीदी के अलावा अजमल और हफीज़ ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है. परन्तु शायद उनका पैंतरा भारत के खिलाफ़ न चले क्योंकि भारतीय बल्लेबाजों से अच्छा शायद ही कोई टीम स्पिन गेंदबाजों को खेल पाए.

• सचिन सहवाग बनाम उमर गुल
• शाहिद अफरीदी बनाम युवराज और धोनी
• हरभजन बनाम मिसबाह और यूनिस
• ज़हीर खान बनाम उमर और कामरान अकमल

X – फैक्टर

भारत की तरफ़ से युवराज सिंह और पाकिस्तान की तरफ़ से शाहिद अफरीदी इस मैच के X – फैक्टर हो सकते हैं. दोनों ही मैन ऑफ दी सीरीज की दौड़ में एक-दूसरे की होड़ में आगे चल रहे हैं. जहां युवराज ने बल्ले और गेंद दोनों से कमाल दिखाया है वहीं अफरीदी से अच्छा गेंदबाज़ वर्ल्ड कप में कोई नहीं है.
आंकड़े का खेल

1992 का मोरे-मिंयादाद प्रकरण, 1996 में अजय जडेजा के छक्के, 1999 में प्रसाद की गेंदबाज़ी और 2003 में सचिन का मास्टर स्ट्रोक. वर्ल्ड कप में यह चिरप्रतिद्वंद्वी चार बार मिले हैं और चारों बार जीत भारत की हुई है. यही नहीं, टी20 वर्ल्ड कप में भी हम पाकिस्तान से 20 हैं.

अनछुई कड़ी

इस मैच की एक अनछुई कड़ी क्षेत्ररक्षण हैं. भारत और पाकिस्तान विश्व में क्षेत्ररक्षण के मामले में बदनाम हैं. हमेशा से क्षेत्ररक्षण दोनों देशों की सबसे कमज़ोर कड़ी रही है. इस वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के विकेटकीपर कामरान अकमल तो कैच छोड़ने का रिकॉर्ड बनाने में लगे हैं. परन्तु भारतीय भी ज़्यादा पीछे नहीं हैं. ऐसे में अगर कोई भी टीम क्षेत्ररक्षण में औसत प्रदर्शन भी करती है तो जीत उसकी हो सकती है.

जो अच्छा खेलेगा वह फाइनल में जाएगा. जीत हासिल करने की लड़ाई में सबसे अहम ‘दबाव’ पर विजय पाना है. पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर रमीज़ राजा का मानना है कि भारतीय टीम में जीत का दबाव ज़्यादा होगा अतः पाकिस्तान के मैच जीतने के आसार ज़्यादा हैं. परन्तु शायद रमीज़ राजा यह भूल गए हैं कि भारत में क्रिकेट धर्म है और जब भी भारतीय खिलाड़ी किसी भी टीम के खिलाफ़ मैच खेलते हैं तो उन पर हमेशा 100 करोड़ लोगों की आशाओं का दबाव रहता है और इस दबाव के चलते ही वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं और इसीलिए शायद वर्ल्ड कप के सबसे बड़े मैच में यह दबाव टीम इंडिया के लिए संजीवनी का कार्य करे.

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