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उस दिन भी शनिवार था, जब 25 जून 1983 को कपिल देव के धुरंधरों ने लार्ड्स में इतिहास रचा था। धौनी के रणबाकुरों ने फिर से शनिवार भारतीयों के लिए यादगार बना दिया। भारत ने नया रिकॉर्ड भी बनाया। वह अपनी सरजमीं पर फाइनल जीतने वाला पहला देश बन गया है। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया [चार बार] और वेस्टइंडीज [दो] के बाद भारत तीसरा देश है, जिसने कम से कम दो बार विश्व कप जीता। कप्तान धौनी ने जीत का छक्का क्या लगाया एक अरब 21 करोड़ भारतीयों का अरमान पूरा हो गया।
सचिन सहित टीम के हर खिलाड़ी की आंखों में जीत के आंसू छलक रहे थे। माही ने जरूरत पड़ने पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। उनकी और गौतम गंभीर की सूझबूझ भरी पारियों की बदौलत भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप के फाइनल मैच में श्रीलंका को छह विकेट से धूल चटा दी। इस तरह भारत ने 28 साल बाद विश्व कप खिताब अपने नाम किया। 1983 में कप्तान कपिल देव ने कप चूमा था और अब धौनी ने यह सौभाग्य प्राप्त किया।
21 साल से देश को विश्व कप दिलाने का सपना देखने वाली तेंदुलकर की आंखों ने अपना सपना पूरा होते देख लिया। इस जीत के साथ ही टीम इंडिया वनडे रैंकिंग में नंबर एक पर पहुंच गई।
28 साल बाद फिर चैंपियन
आखिरकार 28 साल बाद मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में शनिवार को 121 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हो गया। धौनी के शेरों ने हमें फिर से क्रिकेट का विश्व चैंपियन बना दिया। 49वें ओवर में धौनी के विजयी छक्का लगाते ही पूरा देश झूम उठा। इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने कोलकाता में 1996 विश्व कप सेमीफाइनल में श्रीलंका से मिली हार का बदला भी ले लिया। सचिन ने इस मैच में अपना महाशतक भले ही नहीं पूरा किया, लेकिन उन्होंने आज अपने जीवन का सबसे बड़ा दिन जी लिया। जीत के बाद खिलाड़ियों और क्रिकेट प्रेमियों की आंखों में कहीं खुशी के और कहीं गम के आंसू थे।
जज्बे की जीत
उस वक्त वानखेड़े स्टेडियम में सन्नाटा पसर गया जब 275 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया को पहले ही ओवर में सहवाग [00] का झटका लगा। मलिंगा ने दूसरी ही गेंद पर उन्हें एलबीडब्ल्यू कर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के दिलों की रफ्तार थाम दी। उम्मीद की किरण सचिन तेंदुलकर [18] भी सातवें ओवर में मलिंगा का शिकार हुए।
विराट [49 गेंदों पर 35 रन] ने मुश्किल में फंसी टीम को सहज स्थिति में लाने के अपने प्रयास के तहत गंभीर [122 गेंदो पर 97 रन, 9 चौके] के साथ तीसरे विकेट के लिए 83 रन जोड़े थे। विराट तीसरे विकेट के रूप में 21.4 ओवर में आउट हुए। उन्हें दिलशान ने अपनी ही गेंद पर कैच किया।
धौनी का वन मैन शो
धौनी का बल्ला विश्व कप में अब तक कुछ खामोश था, लेकिन जब टीम खिताबी जंग लड़ रही थी और उसे सबसे ज्यादा जरूरत थी, धौनी का बल्ला जमकर चला। इसी बल्ले से जीत का छक्का लगा। विराट के जाने के बाद धौनी मैदान पर उतरे थे। अपने कॅरियर के 10वें और विश्व कप के पहले शतक की ओर बढ़ रहे गंभीर और धौनी ने चौथे विकेट के लिए 109 रन की साझेदारी की। विश्व कप फाइनल में भारत की यह अब तक की सबसे बड़ी साझेदारी है। 38वें ओवर तक दोनों स्कोर को 200 रन के पार ले गए। गंभीर को 42वें ओवर में परेरा ने बोल्ड किया। धौनी ने [79 गेंदों पर नाबाद 91 रन, 8 चौके, 2 छक्के] युवराज सिंह [24 गेंदों पर नाबाद 21 रन] के साथ मिलकर 54 रन की साझेदारी करते हुए 10 गेंद शेष रहते टीम को विश्व विजेता बना दिया। युवराज सिंह पूरे टूर्नामेंट की तरह इस मैच में भी छाए रहे।
महेला का शतक बेकार
महेला जयवर्द्धने की आक्रामक शतकीय पारी भी श्रीलंका के काम न आई। 17वें ओवर में महेला ने क्रीज पर कदम रखा और 88 गेंदों पर नाबाद 103 रन की पारी खेल कर टीम का स्कोर 274 तक पहुंचाया। इस दौरान उन्होंने कप्तान कुमार संगकारा , तिलन समरवीरा [21] और नुवान कुलशेखरा [32] के साथ अर्द्धशतकीय साझेदारिया कीं। तिसारा परेरा ने आखिर में नौ गेंदों पर नाबाद 22 रन ठोक कर उनका बखूबी साथ दिया। इस सब के बावजूद श्रीलंकाई टीम खिताबी जंग में जीत हासिल न कर सकी।
साभार: जागरण याहू
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