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बल्लेबाजी पॉवर प्ले – किसके लिए फायदेमंद

वर्ल्ड कप क्रिकेट 2011
वर्ल्ड कप क्रिकेट 2011
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सभी जानते हैं कि “बदलाव” एक ऐसा सत्य है जिसे अगर नहीं अपनाया गया तो हानि ही होती है. क्रिकेट दुनिया भी बदलाव से परे नहीं है. पहले जहां केवल टेस्ट क्रिकेट खेला जाता था अब वहीं टी20 क्रिकेट सब जगह धूम मचा रहा है. ऐसा होना सही भी है क्योंकि लोग तो रोमांच चाहते हैं और टी20 क्रिकेट या एकदविसीय मैचों में पॉवर प्ले लोगों को यह रोमांच प्रदान करता है.


आजकल जब वर्ल्ड कप का रोमांच जोरों पर है तो इस वक्त पॉवर-प्ले की बात करना लाज़िमी भी है क्योंकि टीमें मैच शुरू होने के पूर्व से ही पॉवर-प्ले की रणनीति बनाती हैं. लेकिन कभी किसी ने सोचा कि बल्लेबाजी या बैटिंग पॉवर प्ले किसके लिए ज़्यादा फायदेमंद होती है.

आम धारणा है कि बैटिंग पॉवर प्ले से ज़्यादा फायदा बल्लेबाज़ी टीम को मिलता है, लेकिन वर्ल्ड कप में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. सही मायनों में गेंदबाज़ी टीम को इसका ज़्यादा फायदा होता नज़र आ रहा है.

हमला या बचाव

बैटिंग पॉवर प्ले पांच ओवर का होता है जिसके दौरान केवल तीन खिलाड़ी 30 गज के दायरे के बाहर तैनात हो सकते हैं. अधिकतर मैचों में बल्लेबाज़ी पर उतरी टीमें इसका इस्तेमाल 40 ओवरों के बाद करती हैं और इन पांच ओवरों में उनका लक्ष्य ज़्यादा से ज़्यादा रन बटोरने का होता है जबकि गेंदबाज़ी कप्तान का लक्ष्य रन रोकने के साथ-साथ विकेट लेना होता है. ऐसे में गेंदबाज़ी कप्तान के सामने एक समस्या सामने आती है कि वह अपने फील्डरों को कहां तैनात रखे कि रन रोके जा सकें. परन्तु उसकी इस समस्या का उपाय बैटिंग पॉवर प्ले होता है, क्योंकि इस दौरान एक तरफ़ किसको कहां तैनात करना है यह समस्या हल हो जाती है दूसरी, जब 30 गज के अंदर ज़्यादा खिलाड़ी रहेंगे तो वह विपक्षी टीम पर हमला भी कर सकते हैं. क्योंकि इस दौरान आठ खिलाड़ी घेरे के अंदर होते हैं तो बल्लेबाज़ उपरी शॉट ज़्यादा खेलते हैं जिससे उनके ऑउट होने की संभावना ज़्यादा हो जाती है.

अगर हम इस वर्ल्ड कप के दौरान पॉवर प्ले के आंकड़ों को देखें तो ज़्यादा फायदा गेंदबाज़ी टीम को ही हुआ है. बंगलुरू मैच में भी भारत और इंग्लैंड को घाटा ही हुआ. ऐसी स्थिति में ज़रुरी हो जाता है कि बैटिंग पॉवर प्ले का इस्तेमाल कब किया जाए यह सही पता हो. अगर टीम की स्थिति अच्छी है और 34 ओवर तक उसने दो या तीन विकेट खोए हैं तो बल्लेबाज़ी टीम को 35 ओवर से बैटिंग पॉवर प्ले लेना चाहिए क्योंकि इस 35वें ओवर से गेंद बदली जाती है, जिससे गेंद थोड़ी नई और कठोर होती है जिसपर शॉट खेलना आसान होता है. लेकिन अगर टीम ने जल्दी-जल्दी विकेट खो दिए हैं तो टीम 40 ओवर बाद इसका इस्तेमाल कर सकती है.

सही मायनों में बैटिंग पॉवर प्ले का इस्तेमाल रणनीति की तरह करनी चाहिए और अच्छा होगा कि टीमें इस दौरान विकेट ना खोएं भले ही पांच ओवर में वह 30 रन बनाएं.

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