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एक समय था जब श्रीलंकाई टीम क्रिकेट जगत में मेमना कहलाती थी. कभी अच्छा प्रदर्शन करती तो कभी अपना ही प्रदर्शन देख शर्मा जाती. फिर आया 1996 का क्रिकेट वर्ल्ड कप. घरेलू जमीन पर रणतुंगा के चीतों की दहाड़ के सामने कोई न टिक पाया.
समय के साथ–साथ श्रीलंकाई क्रिकेट टीम में बहुत बदलाव आया है. शुरुआती पांचो वर्ल्ड कप में श्रीलंकाई टीम पहला दौर भी नहीं पार कर पाई थी. उस समय सही मायनों में श्रीलंकाई टीम में मैच विनरों की कमी थी. उनके खिलाड़ियों में प्रतिभा तो थी लेकिन उस प्रतिभा का विकास सही से नहीं हो पा रहा था. तभी श्रीलंकाई क्रिकेट टीम की कमान अर्जुन रणतुंगा के हाथ में आई. कप्तान बनते ही रणतुंगा का सबसे पहला कदम था कि सभी खिलाड़ी अपना स्वाभाविक गेम खेलें. इस साहसिक कदम का नतीजा था कि एकदिवसीय क्रिकेट का रंग बदलने लगा. यह ऐसा दौर था जहां तकनीकी तौर से सक्षम खिलाड़ी के साथ-साथ टीम में हार्ड हिटरों को भी जगह मिलने लगी. पिंच हिटर की उपयोगिता सामने आने लगी और एकदिवसीय क्रिकेट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया पॉवरप्ले. 1996 विश्व कप में श्रीलंकाई टीम दूसरी टीमों के मुकाबले सभी क्षेत्रों में बीस थी. इसी विश्व कप के दौरान विश्व क्रिकेट में सनथ जयसूर्या और रोमेश कालूवितर्ना की प्रारंभिक जोड़ी ने कमाल कर दिखाया था. यह जोड़ी सिर्फ आक्रमण करना जानती थी जिसका मकसद था कि पहले 15 ओवरों में जितने रन बटोरे जा सकें उतने बटोर लो. 1996 के विश्व कप में श्रीलंका की सभी चालें सही रहीं जिसके नतीजन वह विश्व विजेता बना.
विश्व कप में श्रीलंका का सफ़र
• 1975 पहला वर्ल्ड कप – पहले दौर से बाहर.
• 1979 दूसरा वर्ल्ड कप – पहले दौर से बाहर.
• 1983 तीसरा वर्ल्ड कप – पहले दौर से बाहर.
• 1987 चौथा वर्ल्ड कप – पहले दौर से बाहर
• 1992 पांचवांवर्ल्ड कप – पहले दौर से बाहर.
• 1996 छठां वर्ल्ड कप – फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को सात विकेट से हराया.
• 1999 सातवां वर्ल्ड कप – पहले दौर से बाहर.
• 2003 आठवां वर्ल्ड कप – सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने 48 रन से हराया.
• 2007 नवां वर्ल्ड कप – फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रलिया ने 53 रन से हराया.
तथ्य – भारत और बांग्लादेश के साथ इस बार के क्रिकेट विश्व कप की मेजबानी श्रीलंका भी कर रहा है. पहले दौर में श्रीलंका छः मैच खेलेगा, जिसमें से पांच मैच वह अपने घरेलू मैदान में खेलेगा. विश्व कप के 49 में से 11 मैच श्रीलंका में आयोजित होंगे, जिसमें 29 मार्च को होने वाला पहला सेमीफाइनल भी शामिल है.
घरेलू जमीन के चीते
हालांकि वर्ल्ड कप की टीम में चमिंडा वास और सनथ जयसूर्या को जगह नहीं मिली फिर भी इस बार के क्रिकेट वर्ल्ड कप में श्रीलंका सबसे प्रबल दावेदार है. जहां एक तरफ श्रीलंका के पास दिलशान और थरंगा जैसे हिटर हैं वही संगकारा और जयवर्धने के रूप में उनके पास विश्व के सबसे अनुभवी बल्लेबाज़ हैं. इसके अलावा श्रीलंका के पास एंजेलो मैथ्यूज के रूप में विश्वस्तरीय आलराउंडर है जो अकेले दम पर टीम की नय्या पार लगा सकता है.
श्रीलंका की गेंदबाज़ी भी बहुत मजबूत है. उसके पास मुरलीधरन के रूप में विश्व का सबसे बेहतरीन गेंदबाज़ है जो अपना आखिरी वर्ल्ड कप खेल रहा है. श्रीलंका की तेज़ गेंदबाज़ी की जिम्मेदारी मलिंगा और कुलशेखरा के हाथों में होगी. कहना गलत नहीं होगा कि श्रीलंका के गेंदबाज़ी आक्रमण में स्पिन और तेज़ गेंदबाज़ी का सही मिश्रण है.
2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए श्रीलंका टीम
1. कुमार संगकारा (कप्तान और विकेटकीपर)
2. महेला जयवर्धने
3. तिलकरत्ने दिलशान
4. उपुल थरंगा
5. थिलन समरवीरा
6. चमारा सिल्वा
7. चमारा कापूगेदरा
8. एंजेलो मैथ्यूज
9. थिसारा परेरा
10. नुवान कुलशेखरा
11. लसिथ मलिंगा
12. दिलहारा फर्नांडो
13. मुथैया मुरलीधरन
14. अजंता मेंडिस
15. रंगना हेराथ
वर्ल्ड कप 2011 (World Cup 2011) में श्रीलंका ऐसी टीम है जिनके पास आक्रामक बल्लेबाज़ों के साथ अनुभवी बल्लेबाज़ हैं. गेंदबाज़ी में स्पिन और तेज़ गेंदबाजों का सही संयोग है और समय पड़ने पर उसके पास ऐसे खिलाड़ी हैं जो एक साथ दो भूमिका निभा सकें.
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