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अब केवल एक महीने से भी कम का समय शेष है क्रिकेट विश्व कप शुरू होने में. 19 तारीख से विश्व कप का काउंटडाउन भी शुरू हो गया है. मतलब कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है घमासान.
लेकिन घमासान शुरू होने से पूर्व आईसीसी के अध्यक्ष शरद पवार और 2011 विश्व कप के डायरेक्टर रत्नाकर शेट्टी परेशान हैं. वह परेशान इसलिए हैं कि कहीं विश्व कप का हाल राष्ट्रमंडल खेल जैसा न हो जाए क्योंकि कोलकाता के ईडन गार्डन और मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में कार्य अभी भी चल रहा है. बात यही नहीं है, वास्तव में सभी कार्यों को 15 जनवरी तक हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा हो न सका और फिर 24 तारीख को कार्य समाप्त होने का अंतिम दिन चुना गया है लेकिन ऐसा लगता है कि 24 तारीख को भी कार्य समाप्त नहीं हो पाएगा.
आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हारून लोगार्ट ने अपनी पूरी आशंका भी जताई है कि 24 तक कार्य समाप्त हो ही जाएगा लेकिन उनको क्या पता कि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (सीएबी) ने थोड़ी और मोहलत मांग ली है.
यहां बात केवल कार्य की नहीं है बल्कि यहां बात देश के प्रतिष्ठा की है? पहले राष्ट्रमंडल खेल और अब विश्व कप जब भी हमको कुछ भी बड़ा करने को मिलता है तो क्यों हम कुछ गड़बड़ करते हैं. वहीँ दूसरी तरफ़ हमें चीन से सबक लेना चाहिए जिसने एशियाई खेलों का जो भव्य आयोजन करवाया उसका देश ने ही नहीं पूरे विश्व ने वाह–वाह किया. एशियाई खेलों से जुड़ा कोई भी मुद्दा उभरकर सामने नहीं आया. दूसरी तरफ़ हमने जो भी कुछ किया उसमें कार्य बाद में शुरू हुआ मुद्दे और भ्रष्टाचार पहले सम्मिलित हो गए.
क्या हमें दूसरों के सामने अपने देश की अच्छी छवि प्रस्तुत करना अच्छा नहीं लगता? हमारे कार्य तो इसी तरफ़ इशारा करते हैं. पैसा, समय और संसाधनों की कमी हमें नहीं होती, अगर हम एक रुपये मांगते हैं तो सरकार दो देने को तैयार होती है, समय भरपूर होता है लेकिन उसके बाद भी हम समय कम होने के लिए रोते हैं. वास्तव में अगर दस साल का समय भी मिल जाए तो वह हमारे लिए कम होगा.
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