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क्या विश्व कप 2011 के लिए चुनी गयी टीम इंडिया में दम है कि वह 1983 का इतिहास दोहरा सके? सचिन, सहवाग, गंभीर, धोनी, ज़हीर और भज्जी पाजी सभी एक से बढ़कर एक धुरंधर हैं लेकिन क्या ये सभी विश्व कप के दौरान वह कारनामा दोहरा पाएंगे जो वह पिछले कई सालों से सफलतापूर्वक करते आ रहे हैं? इस प्रश्न का सही उत्तर तो यह खिलाड़ी भी नहीं दे पाएंगे, लेकिन अगर हमको जीतना है तो सभी खिलाड़ियों का चलना ज़रुरी होगा.
17 जनवरी को विश्व कप में भाग लेने वाली पंद्रह सदस्यीय टीम चुनी गयी. भारतीय टीम के सलेक्टर श्रीकांत के अनुसार इस बार के विश्व कप के लिए चुनी गयी टीम एक संतुलित टीम है. टीम में आक्रामक खिलाड़ी हैं जो समय के अनुसार अपने आप को ढाल सकते हैं, युसूफ पठान और सहवाग जैसे बल्लेबाज़ हैं जो अकेले दम पर मैच का पासा बदल सकते हैं. तेज़ गेंदबाजों को पता है कि भारतीय उपमहाद्वीप में कैसी गेंदबाज़ी कारगर होगी और स्पिन गेंदबाजी डिपार्टमेंट में गहराई भी है. इसके अलावा टीम इंडिया में सबसे पॉजीटिव पॉइंट है टीम का कप्तान कूल महेंद्र सिंह धोनी. जो किसी भी स्थिति में घबराते नहीं हैं. टीम इंडिया में हैं सात बल्लेबाज़, चार तेज़ गेंदबाज़, तीन स्पिन गेंदबाज़ और एक आलराउंडर.
लेकिन क्या यह टीम कॉम्बीनेशन एकदम सही है? टीम के चयन के पश्चात कुछ प्रश्न सामने आए हैं जैसे कि
टीम में सिर्फ एक विकेटकीपर क्यों है? खुदा न खास्ता अगर धोनी को विश्व कप के दौरान चोट लग जाती है तो टीम इंडिया पड़ सकती है मुसीबत में क्योंकि इस टीम में है सिर्फ एक विकेटकीपर.
प्रज्ञान ओझा की जगह पीयूष चावला क्यों? मौजूदा दक्षिण अफ्रीका एकदिवसीय श्रृंखला में पीयूष चावला शामिल तो हैं लेकिन उन्होंने अभी तक एक भी मैच नहीं खेला है. यही नहीं करीबन दो वर्षों से पीयूष चावला ने एक भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला है. वहीं प्रज्ञान ओझा भले अभी एकदिवसीय मैचों में टीम इंडिया का हिस्सा नहीं हैं लेकिन पिछले दो सालों से वह भारतीय टेस्ट क्रिकेट का अभिन्न हिस्सा रहे हैं और कई मौकों पर उन्होंने हरभजन सिंह से भी अच्छा प्रदर्शन किया है. इसके अलावा आईपीएल में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा है. ऐसे में प्रज्ञान के साथ नाइंसाफी क्यों?
टीम में कहीं एक स्पिनर अधिक तो नहीं? टीम इंडिया में तीन स्पिनर चुने गए हैं हरभजन सिंह, रविचंद्रन अश्विन और पीयूष चावला लेकिन क्या टीम में तीन स्पिनरों की दरकार थी? एक टीम में ज़्यादा से ज़्यादा सिर्फ दो स्पिनर ही खेल सकते हैं ऐसी में तीसरा स्पिनर क्यों? तीसरे स्पिनर की जगह हम टीम में एक एक्स्ट्रा विकेटकीपर जैसे दिनेश कार्तिक या पार्थिव पटेल को खिला सकते थे. और अगर टीम को एक अच्छा बल्लेबाज़ भी चाहिए था तो रोबिन उथप्पा को टीम में लेना चाहिए था क्योंकि वह मौका पड़ने पर विकेटकीपिंग भी कर सकते हैं.
टीम के चुन लिए जाने के बाद बहुत से सवाल उठे हैं जो कई मायनों में सही भी हैं लेकिन इन सब के बीच हम एक चीज़ भूल जाते हैं कि आखिरकार मैच तो सिर्फ ग्यारह खिलाड़ी ही खेलेंगे, लेकिन वह ग्यारह होंगे कौन?
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