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कैसे बताये

मुझे याद आते है
मुझे याद आते है
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जो कभी रखते थे

जख्मो पर मरहम मोहब्बत का

वही आज अपने हाथो में

नफ़रत का नमक लिए फिरते है

मै तो वफ़ा की अक धुंधली तस्वीर बनकर रह गई हू

और वो अपने मासूम चेहरे पर

बेवफाई की चमक लिए फिरते है

जी भरने तक मुझसे उनका

खिलवाड़ चलता रहा

और एक हम है …….

आज भी प्यार के नाम पर

मर मिटने की सनक लिए फिरते है

यकीन तो नहीं कि..

लौट के आयेंगे वो मेरे आगोश में

आज जायेंगे !!!

जनाजे शरीक होने

हम ऐसी ही भनक लिए फिरते है

याद आते है जब एक एक कर वो गुजरे पल

हम कैसे बताये कि हम क्या क्या लिए फिरते है

नाकाम आस लिए फिरते है  और

अपने ही हाथो अपनी जिन्दगी कि लाश लिए फिरते है

जख्मो पर मरहम मोहब्बत का
वही आज अपने हाथो में
नफ़रत का नमक लिए फिरते है
मै तो वफ़ा की अक धुंधली तस्वीर बनकर रह गई हू
और वो अपने मासूम चेहरे पर
बेवफाई की चमक लिए फिरते है
जी भरने तक मुझसे उनका
खिलवाड़ चलता रहा
और एक हम है …….
आज भी प्यार के नाम पर
मर मिटने की सनक लिए फिरते है
यकीन तो नहीं कि..
लौट के आयेंगे वो मेरे आगोश में
आज जायेंगे !!!
जनाजे शरीक होने
हम ऐसी ही भनक लिए फिरते है
याद आते है जब एक एक कर वो गुजरे पल
हम कैसे बताये कि हम क्या क्या लिए फिरते है
नाकाम आस लिए फिरते है  और
अपने ही हाथो अपनी जिन्दगी कि लाश लिए फिरते है जो कभी रखते थे
जख्मो पर मरहम मोहब्बत का
वही आज अपने हाथो में
नफ़रत का नमक लिए फिरते है
मै तो वफ़ा की अक धुंधली तस्वीर बनकर रह गई हू
और वो अपने मासूम चेहरे पर
बेवफाई की चमक लिए फिरते है
जी भरने तक मुझसे उनका
खिलवाड़ चलता रहा
और एक हम है …….
आज भी प्यार के नाम पर
मर मिटने की सनक लिए फिरते है
यकीन तो नहीं कि..
लौट के आयेंगे वो मेरे आगोश में
आज जायेंगे !!!
जनाजे शरीक होने
हम ऐसी ही भनक लिए फिरते है
याद आते है जब एक एक कर वो गुजरे पल
हम कैसे बताये कि हम क्या क्या लिए फिरते है
नाकाम आस लिए फिरते है  और
अपने ही हाथो अपनी जिन्दगी कि लाश लिए फिरते जो कभी रखते थे
जख्मो पर मरहम मोहब्बत का
वही आज अपने हाथो में
नफ़रत का नमक लिए फिरते है
मै तो वफ़ा की अक धुंधली तस्वीर बनकर रह गई हू
और वो अपने मासूम चेहरे पर
बेवफाई की चमक लिए फिरते है
जी भरने तक मुझसे उनका
खिलवाड़ चलता रहा
और एक हम है …….
आज भी प्यार के नाम पर
मर मिटने की सनक लिए फिरते है
यकीन तो नहीं कि..
लौट के आयेंगे वो मेरे आगोश में
आज जायेंगे !!!
जनाजे शरीक होने
हम ऐसी ही भनक लिए फिरते है
याद आते है जब एक एक कर वो गुजरे पल
हम कैसे बताये कि हम क्या क्या लिए फिरते है
नाकाम आस लिए फिरते है  और
अपने ही हाथो अपनी जिन्दगी कि लाश लिए फिरते है

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