गरीबों के लिए कर्ज का पर्व
सरकार योजनाएं तो गरीबो के लिए लाती है पर सच तो यही है कि उन योजनाओं से कमाते अमीर है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली में जन धन योजना का शुभारंभ किया ! योजना के तहत 7.5 करोड़ लोगों के बैक अकाउंट खोले जाने का लक्ष्य रखा गया है।इस योजना में पहले ही दिन देश भर में रेकॉर्ड 1.5 करोड़ बैंक खाते खोले गए।
इस योजना में बिना रूपए जमा किए बैंक खाते खोले जाएंगे यानी जीरो बैलेंस पर खाते खुलेंगे।
इस योजना में खास बात यह है कि 26 जनवरी से पहले खाता खुलवाने वालों को एक लाख रुपये के दुर्घटना बीमा के साथ 30 हजार रुपये का जीवन बीमा भी मिलेगा। पर क्या ये सुविधा आरम्भ से लेकर अंत तक शून्य राशि वाले खाते पर भी पर भी मिलेगी ? क्या जरुरी है खाताधारक बाद में भी खाते में धन जमा करवाये ! मोदी जी जन धन योजना बेशक मन से लए हो पर वो गरीब जिनके पास खाने के लिए पैसे नहीं ,तन ढकने के लिए पैसे नहीं ,बच्चो को स्कूल भेजकर फीस भरने के पैसे नहीं वो खाते में पैसे कैसे जमा करेगा ?और जन धन योजना शुरू करने से किसे रोजगार मिलेगा निजी क्षेत्र को ,?जीवन बीमा एजेंटो को ?यह योजना देश के गरीबों के लिए कर्ज मुक्ति का पर्व नहीं भविष्य में गरीबो को कर्ज में डालने की शुरुआत है ! –
.डेबिट
कार्ड की सुविधा के साथ ..खाता खुलने के छह महीने के बाद ओवरड्राफ्ट की सुविधा..’एक बैंक खाता खुल जाने के बाद हर परिवार को बैंकिंग और कर्ज की सुविधाएं सुलभ हो जाएंगी……यानि कर्ज लेने का लाइसेंस …
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अब ये बात समझ में नहीं आई कि मोदी जी का लक्ष्य गरीबो को बचत की और अग्रसर करना है या जनता को बैंको में बचत को बढ़ावा देना है ! बैंक की सात हजार से अधिक शाखाएं खोलेंगे और 20 हजार से अधिक एटीएम लगाएंगे।
क्या मोदी जी को ये पता नहीं है आज देश के कई ग्रामीण क्षेत्र जहाँ बैंक नहीं है (नवीन बैंक खुलेंगे तब खुलेंगे ,)ग्रामीण क्षेत्र जहाँ केवल पोस्ट ऑफिस ही कार्य करते है और अब डाकघरों को भी ऑनलाइन करने की प्रक्रिया में आये दिन सर्वर ठप्प रहता है और निवेशक दिन भर लम्बी लाइनो में सर्वर चालू होने का इंतज़ार करते रहते है ,आंठ्वी पास पोस्टमैन से पदोन्नत हुए पोस्टमॉस्टर जिन्हे कम्प्यूटर चलाना भी नहीं आता उन डाकघरों को ऑनलाइन करने से पहले आ रही परेशानियों को भी दूर करना जरुरी है !नवीन बैंक योजना शुरू करने से पहले मोदी जी को पहले से काम में आ रही परेशानियों का हल निकालना चाहिए !
स्विस बैंक से काला धन आये न आये पर उससे पहले देश में ही बड़े वर्ग के पास बहुत काला धन दबा हुआ है जिसे बाहर निकलने के लिए प्रयास बहुत जरुरी है !
जब कांग्रेस सरकार ने लघु बचत योजनाओ के माध्यम से लोगो की जेब से काला धन निकलने के लिए इंदिरा विकास पत्र योजना शुरू की थी .योजना अनुसार पांच वर्ष में धन दुगना वो भी बिना किसी पूछताछ के ,निवेश कर्ता से कोई सवाल किये बिना उसे धनराशि का भुगतान कर दिया जायेगा ! उस समय सच में लोगो को मजा आ गया था और इस योजना में बहुत भारी मात्रा में निवेश प्राप्त हुआ था ! लोगो की जेब से बहुत सारा काला धन निकाल कर सरकारी कोष भरा गया ,लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया और साथ ही छोटे और गरीब लोगो के लिए सुविधा वाली लघु बचत योजनाओ में भी ब्याज दरें कम होती चली गई ,जिसका फायदा निजी क्षेत्रो ने उठाया ! सरकारी ब्याज दरों से दुगनी ब्याज दरों पर लोगो को निवेश का झांसा देकर कम्पनिया भाग गई !हमने बहुत लोगो को अपनी जिंदगी की सारी जमा पूँजी लुटा कर रोते देखा है किसी ने अपनी बेटी की शादी के लिए जुटाई गई राशि लुटा दी किसी ने अपने बच्चो की शिक्षा के लिए जमा पूँजी गवाई!
सरकारी अंकुश के आभाव में आज भी संजीवनी और आदर्श जैसी बहुत सारी निजी निवेश कंपनियां सरकारी ब्याज दरों से दुगनी से भी ज्यादा ब्याज राशि पर लोगो के पैसे जमा कर रही है ! किस दिन ये सब कंपनियां सब समेत कर भाग जाएगी कुछ नहीं कह सकते ! इन पर भी सरकार को लगाम कसनी होगी
अभी हाल ही में बजट में लघु बचत योजनाओ में किसान विकास पत्र फिर से शुरू करने की घोषणा हुई है लेकिन परिपक्वता अवधि ज्यादा होने से लोगो में इसका आकर्षण कम है ! पांच वर्षीय आवर्ती जमा योजना में भी कम से कम तीन साल की बाध्यता ,ऊपर से ब्याज दर की कमी भी लोगो को बैंक की आवर्ती योजनाओ की तरफ खींच रही है जहा ज्यादा ब्याज दर के साथ ही एक वर्ष में राशि प्राप्त की जा सकती है !
विगत वित्त मंत्रियो के अनुसार लघु बचत योजनाओ में ब्याज दरें बढ़ाने की क्या जरुरत है लोगो के पास निवेश करने के लिए बहुत विकल्प उपलब्ध है -जैसे म्यूचल फंड ,जीवन बीमा ,शेयर बाजार आदि आदि …वो शायद ये भूल गए कि ये सब विकल्प ज्यादा पैसे वालो के लिए है गरीब और छोटे तबके के लिए छोटी बचत ही एक मात्र विकल्प है जो उनकी जेब पर भारी नहीं होता है !
यदि सरकार अब भी इंदिरा विकास पत्र जैसी कोई योजना शुरू करती है तो बहुत सारा जमा धन लोगो की तिजोरियों से बाहर आ सकता है !
छोटे वर्ग को बचत की और आकर्षित करने का काम लघु बचत योजनाएं है जिनको दिन प्रतिदिन ब्याज दर काम करके हतोत्साहित किया जा रहा है उसमे भी सुधार करने की जरुरत है क्यूंकि आज भी लोगो का विश्वास इन योजनाओ में है
.यह जन धन योजना गरीब और अमीर के बीच बढ़ रहे अंतर को तोड़ने के लिए नहीं और ज्यादा अंतर पैदा करने की प्रभावी योजना है !यह योजना केवल बैंको के माध्यम से क्यों ? डाकघरों में भी ये योजना क्यों नहीं लागू की गई
धनवान वर्ग से तो पैसा निकाल नहीं पाये अब गरीब की जेब में डाका डालने की योजना
सरकार योजनाएं तो गरीबो के लिए लाती है पर सच तो यही है कि उन योजनाओं से कमाते अमीर है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली में जन धन योजना का शुभारंभ किया ! योजना के तहत 7.5 करोड़ लोगों के बैक अकाउंट खोले जाने का लक्ष्य रखा गया है।इस योजना में पहले ही दिन देश भर में रेकॉर्ड 1.5 करोड़ बैंक खाते खोले गए।
इस योजना में बिना रूपए जमा किए बैंक खाते खोले जाएंगे यानी जीरो बैलेंस पर खाते खुलेंगे।
इस योजना में खास बात यह है कि 26 जनवरी से पहले खाता खुलवाने वालों को एक लाख रुपये के दुर्घटना बीमा के साथ 30 हजार रुपये का जीवन बीमा भी मिलेगा। पर क्या ये सुविधा आरम्भ से लेकर अंत तक शून्य राशि वाले खाते पर भी पर भी मिलेगी ? क्या जरुरी है खाताधारक बाद में भी खाते में धन जमा करवाये ! मोदी जी जन धन योजना बेशक मन से लाये हो पर वो गरीब जिनके पास खाने के लिए पैसे नहीं ,तन ढकने के लिए पैसे नहीं ,बच्चो को स्कूल भेजकर फीस भरने के पैसे नहीं वो खाते में पैसे कैसे जमा करेगा ?और जन धन योजना शुरू करने से किसे रोजगार मिलेगा निजी क्षेत्र को ,?जीवन बीमा एजेंटो को ?यह योजना देश के गरीबों के लिए कर्ज मुक्ति का पर्व नहीं भविष्य में गरीबो को कर्ज में डालने की शुरुआत है ! –
.डेबिट कार्ड की सुविधा के साथ ..खाता खुलने के छह महीने के बाद ओवरड्राफ्ट की सुविधा..’एक बैंक खाता खुल जाने के बाद हर परिवार को बैंकिंग और कर्ज की सुविधाएं सुलभ हो जाएंगी……यानि कर्ज लेने का लाइसेंस …अब ये बात समझ में नहीं आई कि मोदी जी का लक्ष्य गरीबो को बचत की और अग्रसर करना है या जनता को बैंको में बचत को बढ़ावा देना है ! बैंक की सात हजार से अधिक शाखाएं खोलेंगे और 20 हजार से अधिक एटीएम लगाएंगे।
क्या मोदी जी को ये पता नहीं है आज देश के कई ग्रामीण क्षेत्र जहाँ बैंक नहीं है (नवीन बैंक खुलेंगे तब खुलेंगे ,)ग्रामीण क्षेत्र जहाँ केवल पोस्ट ऑफिस ही कार्य करते है और अब डाकघरों को भी ऑनलाइन करने की प्रक्रिया में आये दिन सर्वर ठप्प रहता है और निवेशक दिन भर लम्बी लाइनो में सर्वर चालू होने का इंतज़ार करते रहते है ,आंठ्वी पास पोस्टमैन से पदोन्नत हुए पोस्टमॉस्टर जिन्हे कम्प्यूटर चलाना भी नहीं आता उन डाकघरों को ऑनलाइन करने से पहले आ रही परेशानियों को भी दूर करना जरुरी है !नवीन बैंक योजना शुरू करने से पहले मोदी जी को पहले से काम में आ रही परेशानियों का हल निकालना चाहिए !
स्विस बैंक से काला धन आये न आये पर उससे पहले देश में ही बड़े वर्ग के पास बहुत काला धन दबा हुआ है जिसे बाहर निकलने के लिए प्रयास बहुत जरुरी है !
जब कांग्रेस सरकार ने लघु बचत योजनाओ के माध्यम से लोगो की जेब से काला धन निकलने के लिए इंदिरा विकास पत्र योजना शुरू की थी .योजना अनुसार पांच वर्ष में धन दुगना वो भी बिना किसी पूछताछ के ,निवेश कर्ता से कोई सवाल किये बिना उसे धनराशि का भुगतान कर दिया जायेगा ! उस समय सच में लोगो को मजा आ गया था और इस योजना में बहुत भारी मात्रा में निवेश प्राप्त हुआ था ! लोगो की जेब से बहुत सारा काला धन निकाल कर सरकारी कोष भरा गया ,लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया और साथ ही छोटे और गरीब लोगो के लिए सुविधा वाली लघु बचत योजनाओ में भी ब्याज दरें कम होती चली गई ,जिसका फायदा निजी क्षेत्रो ने उठाया ! सरकारी ब्याज दरों से दुगनी ब्याज दरों पर लोगो को निवेश का झांसा देकर कम्पनिया भाग गई !हमने बहुत लोगो को अपनी जिंदगी की सारी जमा पूँजी लुटा कर रोते देखा है किसी ने अपनी बेटी की शादी के लिए जुटाई गई राशि लुटा दी किसी ने अपने बच्चो की शिक्षा के लिए जमा पूँजी गवाई!
सरकारी अंकुश के आभाव में आज भी संजीवनी और आदर्श जैसी बहुत सारी निजी निवेश कंपनियां सरकारी ब्याज दरों से दुगनी से भी ज्यादा ब्याज राशि पर लोगो के पैसे जमा कर रही है ! किस दिन ये सब कंपनियां सब समेत कर भाग जाएगी कुछ नहीं कह सकते ! इन पर भी सरकार को लगाम कसनी होगी
अभी हाल ही में बजट में लघु बचत योजनाओ में किसान विकास पत्र फिर से शुरू करने की घोषणा हुई है लेकिन परिपक्वता अवधि ज्यादा होने से लोगो में इसका आकर्षण कम है ! पांच वर्षीय आवर्ती जमा योजना में भी कम से कम तीन साल की बाध्यता ,ऊपर से ब्याज दर की कमी भी लोगो को बैंक की आवर्ती योजनाओ की तरफ खींच रही है जहा ज्यादा ब्याज दर के साथ ही एक वर्ष में राशि प्राप्त की जा सकती है !
विगत वित्त मंत्रियो के अनुसार लघु बचत योजनाओ में ब्याज दरें बढ़ाने की क्या जरुरत है लोगो के पास निवेश करने के लिए बहुत विकल्प उपलब्ध है -जैसे म्यूचल फंड ,जीवन बीमा ,शेयर बाजार आदि आदि …वो शायद ये भूल गए कि ये सब विकल्प ज्यादा पैसे वालो के लिए है गरीब और छोटे तबके के लिए छोटी बचत ही एक मात्र विकल्प है जो उनकी जेब पर भारी नहीं होता है !
यदि सरकार अब भी इंदिरा विकास पत्र जैसी कोई योजना शुरू करती है तो बहुत सारा जमा धन लोगो की तिजोरियों से बाहर आ सकता है !
छोटे वर्ग को बचत की और आकर्षित करने का काम लघु बचत योजनाएं है जिनको दिन प्रतिदिन ब्याज दर काम करके हतोत्साहित किया जा रहा है उसमे भी सुधार करने की जरुरत है क्यूंकि आज भी लोगो का विश्वास इन योजनाओ में है
यह जन धन योजना गरीब और अमीर के बीच बढ़ रहे अंतर को तोड़ने के लिए नहीं और ज्यादा अंतर पैदा करने की प्रभावी योजना है !यह योजना केवल बैंको के माध्यम से क्यों ? डाकघरों में भी ये योजना क्यों नहीं लागू की गई
धनवान वर्ग से तो पैसा निकाल नहीं पाये अब गरीब की जेब में डाका डालने की योजना
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