आरबीआई के मई के नोटिफिकेशन के बाद अब बैंकों को इस बात की छूट है कि वह 10 साल से अधिक के बच्चों का सेविंग्स बैंक अकाउंट बिना किसी गार्जियन के भी खोल सकते हैं और बच्चों को उसे ऑपरेट करने की इजाजत भी दे सकते हैं। आरबीआई ने उसके साथ एटीएम एवं चेक बुक भी उपलब्ध कराने का दिशा-निर्देश जारी किये है भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 18 साल से कम आयु के बच्चों के लिए दो तरह के खातों- पहली उड़ान और पहला कदम- की घोषणा की है ‘पहली उड़ान’ खाता खुद से चलाया जाने वाला खाता होगा। यह खाता 10 साल से अधिक आयु के ऐसे बच्चों के लिए होगा, जिन्हें एकसमान हस्ताक्षर करने आता हो। दूसरी ओर ‘पहला कदम’ खाता 18 साल से कम उम्र के सभी बच्चों और किशारों के लिए होगा, जिसे माता-पिता या अभिभावक के साथ संयुक्त रूप से संचालित किया जाएगा। एसबीआई ने इन दोनों खातों के लिए विशेष पास बुक और चेक बुक बनवाया है। दोनों तरह के खाताधारकों को फोटो युक्त एटीएम डेबिट कार्ड दिए जाएंगे। इसके साथ ही बिल पेमेंट, एफडी, आरडी और इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इन खातों के जरिए प्रति दिन पांच हजार रुपए तक का लेन-देन किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त खाताधारकों को दो हजार रुपए की दैनिक सीमा के साथ मोबाइल बैंकिंग की सुविधा भी दी जाएगी। भारतीय स्टेट बैंक की तर्ज़ पर निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक ने 10 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए बचत खाता लांच किया है। यह खाता 10 साल से 18 साल तक की उम्र के बच्चों के लिए होगा। इस बचत खाते को स्मार्ट स्टार का नाम दिया गया है। बच्चे के नाम से जारी किए जाने वाले इस खाते के साथ उस बच्चे को एक चेक बुक और एक डेबिट कार्ड दिया जाएगा। इस डेबिट कार्ड पर उस बच्चे की फोटो होगी। बैंक का कहना है कि इस खाते की मदद से बच्चों में तरह-तरह के बैंकिंग ट्रांजैक्शन करने की आदत विकसित होगी। वे चेक जारी कर सकेंगे, बिल अदा कर सकेंगे, फिक्स्ड डिपॉजिट कर सकेंगे और रेकरिंग डिपॉजिट भी शुरू कर सकेंगे।पहले बैंक बच्चों को उनके सेविंग्स अकाउंट को ऑपरेट करने की इजाजत सिर्फ उसी स्थिति में देते थे, जब उनके साथ उनके माता-पिता या फिर कोई अन्य गार्जियन हो। लेकिन अब बच्चे खाता स्वयं सञ्चालन के लिए स्वतंत्र है माइनर अकाउंट की सुरक्षा की दृष्टि से रिजर्व बैंक ने कहा है कि ऐसे अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट जैसी सुविधाएं नहीं दी जा सकती हैं पर सवाल ये है कि….जिस उम्र में बच्चो की महत्वकांक्षाएं बढ़नी शुरू हो जाती है और उन पर अभिभावकों का अंकुश या कहे तो नज़र जरुरी है उस उम्र में बच्चे के हाथ में बैंक के खातों का सञ्चालन उचित है ? क्या बच्चो में बचत की आदत विकसित करने का मात्र यही एक तरीका है ?क्या इसके लिए घर में परम्परागत तरीका गुल्लक नहीं है ? बैंकिंग सीखने का मात्र यही एक तरीका है ?
दरअसल आधुनिकता की दौड़ में शामिल तमाम युवा महंगे शौक पाल रहे हैं। गर्ल फ्रेंड को महंगे गिफ्ट, दोस्तों पर रौब गाठने के लिए बढ़िया मोबाइल, बड़ी-बड़ी कंपनियों के ब्रांडेड कपड़े व नशे की लत इन्हें अपराध की दुनिया में धकेल रही है। अपनी इन बेतहाशा जरुरतों के लिए ये चेन स्नेचिंग, लूटपाट जैसी वारदातों को अंजाम देते फिर रहे हैं।गत दिनों दिल्ली स्कूल स्वास्थ्य योजना के तहत 24 निजी व 12 सरकारी स्कूलों के बच्चों पर हुए एक अध्ययन में 12 फीसद बच्चों ने नशे की लत व आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने की बात सामने आई। इसके लिए भी उन्हें पर्याप्त धन की जरुरत होती है !बच्चे कल्पना और यथार्थ में ठीक से भेद कर सकें, इसके लिए उन्हें अलग से समझाना पड़ता है। यह जिम्मेदारी प्रमुख रूप से माता-पिता और अध्यापकों की होती है।लेकिन उन्हें संस्कारवान बनाने वाली शिक्षा का व्यावसायीकरण हो गया है अभिभावकों के पास बच्चों के लिए समय नहीं है। परिणामस्वरुप काफी संख्या में बच्चे युवा होते-होते अपराध की दुनिया के राही बन जाते हैं। यदि माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं तो यह कैसे संभव है कि हर वक्त देखा जा सके कि बच्चा क्या कर रहा है? हमारे यहां भी यह स्थिति बन रही है। इससे पहले की हालात हाथ से निकलने लगें, हमें इस बाबत सचेत होना होगा ! अब उनके हाथ में एक और हथियार आ जायेगा .. अब बच्चे खाता स्वयं सञ्चालन के लिए स्वतंत्र है मतलब अभिभावकों की निगरानी के बगैर वो पैसे का उपयोग कर सकेंगे अब वो उसका क्या उपयोग करेंगे ये खुद जाने …………आपकी क्या राय है क्या नाबालिग (18 वर्षसे कम बच्चे)बच्चे को इतना अधिकार देना उचित है ?कच्ची उम्र की ये उड़ान कितनी सफल होगी ?इसके क्या परिणाम होंगे?
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments