मौत का महाकुंभ
हर साल हर धार्मिक आयोजनों में लाखो लोग अपनी जान गंवाते है और कितने लोग अपनों से अलग हो जाते है उनके परिजन किस मानसिक हालत में घर आते है ये पीड़ा उनके अलावा कोई नहीं समझ नहीं सकता इस बार भी वही हुआ दुनिया के सबसे बड़े कुम्भ में फिर मौत का तांडव हुआ !महाकुंभ मेले में पूरी दुनिया के लोग आते हैं और लाखों श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। मौनी अमावस्या के दिन उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में अब तक कितने लोगों की मौत हो चुकी है ,कितने लोग घायल भी हुए हैं जिसमें से कितने की हालत गंभीर बताई जा रही है. यह हादसा उस समय हुआ जब भारी संख्या में लोग कुंभ स्नान के बाद स्टेशन की ओर कूच करने लगे!पीड़ितों में महिलाएं पुरुष और बच्चे है. अब तक कुछ शवो की ही पहचान हो पाई है.इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर रविवार को मची भगदड़ में घायल हुए लोगों और मृतकों के परिजनों की व्यथा शायद ही कोई समझ सके ! ।अधिकारियों के लिए इन लोगों को समझाना मुश्किल हो गया। नम आंखों से कुछ लोगों ने शिकायत की कि उन्हें उनके संबंधियों के शव ले जाने से रोका जा रहा है।रेलवे स्टेशन के समीप स्थित रेलवे अस्पताल में भगदड़ के घायलों का इलाज चल रहा है
इलाहाबाद महाकुंभ के दौरान स्टेशन पर मची भगदड़ में श्रद्धालुओं के मारे जाने की घटना के बाद उत्तरप्रदेश के मंत्री आजम खान ने सोमवार को कुंभ के प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया है। क्या इस्तीफा देने भर से क्या वो अपने दायित्व से मुक्त हो गए ……क्या मरने वालो के अपनों के दर्द और आंसू वो भूल जायेंगे
ट्रेन पकड़ने के लिए भीड़ पुल से प्लेटफार्म संख्या छ: की ओर जा रही थी। पुलिसकर्मी जब स्थिति संभाल न सके तो उन्होंने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। अगर वे थोड़ा सोचकर काम करते तो हादसा टाला जा सकता था। संभागीय रेल प्रबंधक हरिंद्र राव और डीआईजी (रेलवे) लालजी शुक्ला लाठीचार्ज के आरोपों को खारिज करते हैं। लोग कहते हैं कि पुलिस के लाठीचार्ज करने के कारण यह भगदड़ मची। ऐसी जगहों पर लाठीचार्ज करना पुलिस अपना धर्म समझती है …..और हालत बिगड़ने पर मुकरना उससे बड़ा धर्म
इसी बीच रेलवे स्टेशन में एक बार फिर लोगों की भीड़ यथाशीघ्र ट्रेन से अपने घर सुरक्षित पहुंचना चाहते हैं !प्लेटफार्म और पुल पर हादसे की विनाशगाथा नजर आ रही है जहां यात्रियों के चप्पल-जूते, सामान, पानी की बोतलें और चूड़ियां बिखरी पड़ी हैं। वैसे इस तरह के हादसों की जो वजह हर बार बताई जाती है है इससे प्रशासन की बदइंतजामियों का पता चलता है. प्रशासन को मौनी अमावस्या के कारण संगम में करोडो लोग स्नान के लिए आने का अनुमान था जिसको देखते हुए इलाहाबाद स्टेशन पर भीड़ होने की काफी संभावानाएं थीं लेकिन प्रशासन ने इसके लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए !.
इस पूरी घटना में यदि नजर दौड़ाई जाए तो इसमें आयोजकों और प्रशासन में तालमेल की कमी, मेला पुलिस, स्थानीय पुलिस और रेलवे पुलिस के बीच तालमेल का अभाव प्रतीत होता है तालमेल होता तो लोगों को कई अलग-अलग जगहों पर रोका जा सकता था और भीड़ को एक जगह जमा होने से रोका जा सकता था!
इस घटना ने एक बार फिर दिखाया कि बदइंतजामी के साथ-साथ पिछली गलतियों से न सीखने की जिद के नतीजे कितने भयानक हो सकते हैं. भारत में इस तरह के हादसों का अपना ही इतिहास रहा है लेकिन प्रशसन आज तक गलतियों से सबक नहीं ले पाया है. प्रशासन तंत्र के लिए लोगो की जान की कोई कीमत नहीं है
देश विदेश से एकत्रित होने वाले साधुओ की भीड़ में आम जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की है पर कितनी आसानी से लोगो की जान चली जाती है कितने अपनों से जुदा हो जाते है ..इस दर्द को कौन जानेगा .वही जिस पर गुजरती है
प्रशासन का कहना है कि है व्यवस्था बनाये रखने के लिए पूरे मेला क्षेत्र को सात जोन और 18 सेक्टर में विभाजित किया गया है। मौनी अमावस्या पर भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए मेला क्षेत्र में जाने और वापसी के लिए लोवर संगम, अपर संगम अरैल और झूंसी को जोड़ने के लिए 18 पान्टून पुल बनाए गए हैं जिन्हें शाही स्नान के चलते एकल दिशा पैदल यातायात मार्ग के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। कुंभ मेले के मौनी अमावस्या स्नान के लिए पिछले 24 घंटों से लाखों लोगों की भारी भीड़ संगम घाटों पर डेरा जमाए हुए है। घाटों पर ही समूह के समूह खाना पका और खा रहे हैं। तेज सर्दी में संगम घाटों पर आठ और नौ फरवरी की अर्ध रात्रि से ही लोगों ने गंगा स्नान शुरू कर दिया ।
जहां एक तरफ सभी बंधनों से छूटने के लिए यह अवधूत अपने हाथों से अपना श्राद्ध कर रहे थे, वहीं तकनीक का एक नया मोह बाबाओं को अपने पाश में जकड़ा हुआ है । बाबा इस महाकुंभ तक काफी टेक सैवी हो चुके हैं। कमंडल और दंड के साथ डीएसएलआर कैमरा भी रखने लगे हैं।संसार से दूर है लेकिन भला टेक्नॉलजी से मोह अब भी है ।ये साधू मोबाइल फोन पर गुफ्तगू भी करते है .जब मोह माया से दूर है तो …..इस माया का क्या कहें ?अब ये बात लोगो को समझ में नहीं आती कि ये साधू और नागा साधुओ के झूठे आडम्बर के बीच , अपनी जान गवाने का रास्ता क्यों उन्हें अच्छा लगता है .कौनसे पाप धोने के लिए ,लोग कुम्भ स्नान करने जाते है .जहा से अपनों को खोकर या विलग हो कर घर वापिस आना भी उनके लिए दुखद हो जाये !
इस कुम्भ में रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म पर श्रद्धालुओं के अलावा कितने सामान्य मुसाफिरों की जान गई ….जिनके अपने उनके घरो में इंतज़ार कर रहे होंगे और वो कभी अपने घर नहीं पहुंचेंगे .जो लोग परिवार के साथ पुण्य कमाने संगम आए थे लेकिन अब जब घर लौट रहे हैं तो वो साथ नहीं जिनके साथ वो आए थे। इन परिवारों के लिए महाकुंभ की बदइंतजामी ऐसा जख्म दे गई है जो इन्हें जिंदगी भर सालता रहेगा कि उन्होंने कौनसे पाप धोये संगम में या किन पापो की सजा पाई !
प्रशासन के अनुसार इन हेल्पलाइन नंबर्स पर कर प्रभावित अपने करीबियों/परिजनों की जानकारी ले सकते हैं:-
रेलवे-1072
इलाहाबाद- 0532- 2408149, 2408128
नई दिल्ली-011-23342954
ये लोग परिवार के साथ पुण्य कमाने संगम आए थे लेकिन अब जब घर लौट रहे हैं तो वो साथ नहीं जिनके साथ वो आए थे। इन परिवारों के लिए महाकुंभ की बदइंतजामी ऐसा जख्म दे गई है जो इन्हें जिंदगी भर सालता रहेगा।इन हेल्पलाइन नंबर्स पर कर प्रभावित अपने करीबियों/परिजनों की जानकारी ले सकते हैं:-
रेलवे-1072
इलाहाबाद- 0532- 2408149, 2408128
नई दिल्ली-011-23342954
इलाहाबाद- 0532- 2408149, 2408128
नई दिल्ली-011-23342954
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