मुझे याद आते है
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वफाओं के शहर में बेवफाइयों के मेले है
चाँद भी रोज़ चमकता है यहाँ पर ..
ये भी आग उगलता है
चलते रहे ,भीगते रहे हम समंदर में
जाना भी नहीं कि वो आंसुओ के रेले है
वफाओं के शहर में बेवफाइयों के मेले है
हवाओं में भी सिसकियों का शोर है
जब खुद पर ही बस नहीं चलता
तो औरों पर क्या जोर है
हम तो तुमसे मिलकर भी अकेले है
यादे है और तम्मनाओं के मेले है
वफाओं के शहर में बेवफाइयों के मेले है
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