Menu
blogid : 7831 postid : 39

वफाओं के शहर में

मुझे याद आते है
मुझे याद आते है
  • 48 Posts
  • 1061 Comments

वफाओं के शहर में बेवफाइयों के मेले है

चाँद भी रोज़ चमकता है यहाँ पर ..
ये भी आग उगलता है

चलते रहे ,भीगते रहे हम समंदर में
जाना भी नहीं कि वो आंसुओ के रेले है

वफाओं के शहर में बेवफाइयों के मेले है

हवाओं में भी सिसकियों का शोर है
जब खुद पर ही बस नहीं चलता
तो औरों पर क्या जोर है

हम तो तुमसे मिलकर भी अकेले है
यादे है और तम्मनाओं के मेले है

वफाओं के शहर में बेवफाइयों के मेले है

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply