Posted On: 1 Jan, 2015 Others में
एक सुखद एहसास लिए
नई रोशनी की तलाश में
अंतर की व्यथा को छिपा
अधरों पे मुस्कान लिये
सपने अधूरे ही सजाके
नव कामनाओं के हार ले
नाजाने कितने युगों से
राह देखती तुम्हारी
आज मानवता फिर से
हो उठी है ‘उत्साहित’
हे,”नूतनवर्ष”स्वागतम
हर घर के आशियाने में
अब हो तेरा अप्रतिम वसेरा
और हो एक नया सवेरा
सबकी आशाएं परिपूर्ण हों
जीवन से दुःख दूर हों
‘स्वागतम’,” सुस्वागतम ”
”नूतन वर्ष” तुम्हारा
-द्वारा- सुषमा गुप्ता
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