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एक मार्मिक संस्मरण

Sushma Gupta's Blog
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बात बीते वर्षों की है, जब मैं बाराणसी में इंटरमीडिएट की छात्रा थी,
एक दिन कहीं जाते हुए घर से कुछ दूरी पर एक आलीशान बंगलो
के गेट ke एक बोर्ड पर नज़र पड़ी, जिसपर लिखा था,” कुत्ते से सावधान”
एक पल के लिए जैसे ही मैं उस ओर देख ही रही थी कि तभी एक
सुंदर और मासूम सी लगभग चौदह वर्षीय लड़की ने आकर पूछा कि
मुझे किससे मिलना है, अंदर कुत्ता आपको आने नहीं देगा..मैने आगे
की ओर बदते हुए उसे बताया कि मैं भी उसीके पड़ोस में कुछ दूरी
पर रहती हूँ, परिचय जानकर बह खुश हुई, और फिर अपने पिता के
आदेश के ना मिलने पर भी बह कई बार आई .. उसकी एक छोटी
बहन थी पर भाई नही था, इसलिए उन्हें बेटिओं की सुरक्षा की चिंता
सताती थी, जिसकारण बह उन्हें कहीं नहीं भेजते और घर में आने
बालो पर रोक लगाने के लिए ही उन्होने एक ख़तरनाक कुत्ता भी पाला
था..सहसा एक दिन देखा कि उनके घर के बाहर बहुत सुंदर सजावट
थी और उसी गुड़िया जैसी बेटी की शादी हो रही थी, और फिर बह
विदा होकर ससुराल चली गई, लेकिन दो दिन बाद गोने की रस्म के
लिए फिर से मायके आ गई…परंतु उसके बीस वर्षीय पति को, इतनी
जल्दी उसका मायके जाना मन को वेचैन कर गया, और बह भी बिना
किसी पूर्व-सूचना के अपनी ससुराल में आधी रात के समय पहुँच गया
लेकिन सभी को आश्चर्य में डालने के उद्देश्य से काल-वैल भी ना बजाकर
उसने घर की बहुत उँची दीवार से कूदकर प्रवेश किया और फिर बह
जैसे ही उपर जाने बाली सीडियों की ओर बद ही रहा था कि पीछे से
उस ख़तरनाक कुत्ते ने उसे अजनबी जानकार धर दबोचा और उसके
बहुत चीखने पर भी उसे काट-काटकर लहुलुहान करके उसे मौत की
नींद सुला दिया,..उसकी चीत्कार भरी आवाज़े सुनकर रात्रि में ही घरके
सभी लोगों ने आकर बह दर्दनाक दृश्य देखा तो अवाक रह गये, जिस
दामाद को बह बेटा बनाकर रखना चाहते थे ,बह अब दुनियाँ से जा
चुका था ,उनके पास अपार संपत्ति भी अब उसे नही बचा सकती थी,
दुख और आवेश में उन्होने अपनी लाइसेंसी बंदूक से उस कुत्ते को भी
मार दिया ,परंतु हिरनी सी चंचल,सौम्य और परी सी सुंदर उस बेटी का दुख और एक पिता की मार्मिक पीड़ा आज भी
मनको कचोट जाती है ..

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