Menu
blogid : 11910 postid : 755509

बिल्लो रानी [एक बाल कविता]

Sushma Gupta's Blog
Sushma Gupta's Blog
  • 58 Posts
  • 606 Comments

बिल्लो रानी तुम बड़ी सयानी

दबे पाँव ही खिड़की से आती

दौड़ता मैं जब तुम्हें पकड़ने

गुर्राके आँखें तब दिखलाती

रोज सवेरे मम्मा मुझे जगाती

मुँह धो मेरा कपडे नए पहनाती

दूध-कटोरा ले मुझको पिलाती

जतन बड़े कर माँ मुझे मनाती

दूध पी जाओ जल्दी से मुन्ना

खाना भी खालो जल्दी अपना

नहीं,पूसी सब चट कर जायेगी

बचेगा न कुछ तो भूख सताएगी

बिल्लो रानी छुपके क्यों आतीं हो

क्या माँ के बेलन से तुम डरती हो

प्यारी मम्मा मेरी दूध मुझे पिलाती

पातीं तुम भी जो नन्हे को ले आतीं

दूध तनिक न भाता है मुझको

गाके मीठी सी लोरी माँ पिलाती

पूसी चुपके से तुम पी जाओ जी

बिल्लो, जल्दी मुझे बचाओ जी

खड़ी-खड़ी यूँ आँखें चमकाओ ना

बिल्लो, दोस्त मेरी बन जाओ ना

पलभर दे दो अपना नन्हा मुझको

दूध-भात सभी फिर खा जाओ ना

हुई दोस्ती अब ना आखें दिखलाती

काम पे जाती तो नन्हा मुझे दे जाती

प्यारी बिल्लो अब डरती ना शर्माती

‘प्यार की शक्ति’ सबको जीवन देती

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply