Sushma Gupta's Blog
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मेरे रोम-रोम में बसने बाले राम जगत के स्वामी हे अंतर्यामी राम इस मन-मंदिर में तुम आ जाओ जिसमे तेरी ही कृपा के दीप जले श्रीरामहरे, श्रीरामहरे, श्रीरामहरे.. भक्तों पे जब भी बिपदा आन पड़े तब तेरी कृपा का अमृत-पान मिले .पल में ही हर ले तू सारी विपदाएँ तेरी पूजा का ही हमें वरदान मिले श्रीरामहरे, श्रीरामहरे, श्रीरामहरे …. तेरे नाम-सुमिरन से सौभाग्य जगे .. तेरे नाम की दौलत अंतमें साथ रहे पर-पीड़ा परोपकार में हम लगे रहें हर दुखी प्राणी में तेरीही छवि दिखे श्रीरामहरे, श्रीरामहरे, श्री राम हरे .
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