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”दर्दे- दिल आँखों से बहता था”

Sushma Gupta's Blog
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तूफाँ में घिर जो बचा सके ना अपनी जिंदगानी
अब रह गई फ़िजा में उनकी जांबाजी की कहानी
आपदा में देके अपनी जान बचाली कितनी जानें
वो मेरे देश के थे ज़ावाज मतबाले वीर सेनानी

हर शह में खामोशी, घर-घर मातम की परछाई
कल की सुहागिन की आँखें लहू के आंसू – नहाईं
धूमिल हुए सब सपने, याद मिटी ना सजना की
दर्दे- दिल आँखों से बहता था, सांसों पे बन आई

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