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चाँद और चांदनी

नए कदम
नए कदम
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एक हसी चाँद से रूठी चांदनी
उस हसी चाँद से छूटी चांदनी
कई रातें उसने बिता दी जुदाई के अंधेले में
एक टूटे हुए चाँद से टूटी चांदनी

अरमान कि झील में धुंदला
मुश्किलो के बादलों में उलझा
अपने पूरे रूप का अधूरा
एक अधूरे चाँद से घटी चांदनी

देखा नहीं अब कई रोज़ से
दिखता नहीं अब गगन में
छुपता नहीं अब बदल में
हताश, चाँद कि तलाश से लौटी चांदनी

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