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बेरंग

नए कदम
नए कदम
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बुझा बुझा सा आलम है दिलका। 
रंग उतरा हुआ है महफ़िल का॥
वो जो मिले है पर्दा करके हमें।
जाने उनको है डर किसका॥
वही हम है वही है जुस्तजू।
खो गया है पता मंजिल का॥
जब मिले तो वो मुस्कुरा के मिले।
हमने भी छुपाया हाल दिल का॥

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