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मेरी तुम

नए कदम
नए कदम
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इस खामोश रात के अंधेरे में।

तुम्हारी ही बात सुनाई देती है॥

तुम साथ नहीं होती और।

तुम्हारी सूरत दिखाई देती है॥

 

कही से हवा के तेज़ चलने की आवाज़ भी आ रही है।

 पत्तों की सरसराहट से खामोशी जा रही है॥

 

बारिश का मौसम है यहाँ।

मौसम में नमी है॥

दिल में उठती एक कसक है।

इस पल में कुछ कमी है॥

 

पानी की फुहार से।

सड़क भीग गयी है॥

हवा कुछ गीली सी है।

और सौंधी महक भी है॥

 

और गहरा गयी है रात।

समय के हर पल के साथ॥

और खामोश हो गयी है।

और अंधेरी हो गयी है रात॥

 

नींद क्यों आँखों में नहीं है।

सपनों में कुछ देखने को नहीं है॥

और फिर याद भी तो करना है।

तुम्हें, तुम्हारी आखें, चेहरा जो हसीं है॥

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