danish masood
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चरों ओर पथ अनेक
पर मैं डिगा नहीं
एक ओर चल पड़ा
सत्य की खोज में
अमृत सा जीवन मेरा
पल पल सुख का संग
सभी कुछ भुला दिया
सत्य की खोज में
डगर डगर ,गली गली
सत्य के प्रकार नए
आश्चर्य से भर गया
सत्य की खोज में
शहर गावं गली क्या
घर, घर अंधकार
देखा ऐसा द्रश्य मैंने
सत्य की खोज में
कोई भी छूटा नहीं
सत्य के ढोंग से
हर कहीं विफल रहा
सत्य की खोज में
जितने थे उजले तन
उनमें पाया केवल भ्रम
सत्य कहीं मिला नहीं
सत्य की खोज में
संग हर आस के
भटक कर थक गया
तिल तिल मारा मैं
सत्य की खोज में…………………..
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