Menu
blogid : 23256 postid : 1389236

क्या धर्म विरोधी बन चुका है फलित ज्योतिष शास्त्र?

दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
  • 289 Posts
  • 64 Comments

कहते है प्रकृति हर पल सुंदर रचनाएं नव श्रृंगार करती रहती है और मनुष्य भी अपनी सुविधा के लिए नित नए आविष्कार करता चला जा रहा है। लेकिन इन दोनों के बीच एक झूठ भी पलता रहता है जिसे किस्से कहानियां बनाकर वेद आदि धार्मिक ग्रंथों का हवाला देकर, लोगों की समस्याओं को दूर करने तथा मनोकामनाओं को पूरा करने के नाम पर हर रोज उनके सामने परोसा जा रहा है। विडम्बना देखिये लोग इसे स्वाद अनुसार चख भी रहे हैं। आप सुबह उठिए, बगल में थोड़ी सी आस्था और विश्वास दबाकर टी. वी. खोलिए या अखबार के पन्ने पलटिये आपका भाग्य आपका सामने होगा। मसलन खबर यही होगी कि ‘क्या कहते हैं आपके सितारे’ त्रिपुंड लगाये एक पंडित बैठा होगा जो आपका भाग्य आपको बता रहा होगा यानि आज आप अमुक दिशा से जायें, इस रंग के कपड़ें पहने, किस पर विश्वास करें और किस पर नहीं, जीवन आपका है पर सुबह उठते ही इसका निर्धारण कोई दूसरा कर रहा होता है।

 

 

बात यहीं तक ही सीमित नहीं रहती अभी कई दिन पहले एक न्यूज़ पोर्टल पर देखा तो एक कथित ज्योतिषी महिलाओं के नाम के आधार पर उनके अन्दर हीनभावना, भय और अन्धविश्वास तक परोसकर एक किस्म से मानसिक उत्पीड़न रहा था। पहले उसका शीर्षक समझिये ‘ऐसी लड़कियों के साथ बिल्कुल ना करें शादी वरना सालभर में तलाक पक्का साथ में घर भी होगा बर्बाद।’ बता रहा था कि मिथुन राशि की लड़कियों के अन्दर सेंस ऑफ ह्यूमर की कमी होती है तो मिथुन राशि के लोग इन्हें पत्नी कभी न बनाएं. तुला राशि के लोगों को कन्या राशि की पार्टनर बिल्कुल नहीं चुनना चाहिए क्योंकि ये झगड़ालू होती हैं। वृश्चिक राशि के लोगों को मेष राशि का जीवनसाथी नहीं चुनना चाहिए क्योंकि वे स्वतंत्र किस्म की होती हैं, तथा इस राशि की लड़की खुली किताब की तरह है तो  इन्हें वे आकर्षित नहीं करती हैं और मेष राशि के लोग कभी भी शर्मीली और झिझकने वाली महिलाओं को पसंद नहीं करते हैं। कुछ-कुछ इन्ही तरीकों से यह महानुभाव समाज में मानसिक बीमारियाँ बेच रहे हैं। कोई और देश होता तो इन्हें कब का पागलखाने भेज चुका होता लेकिन यहाँ तो ऐसे लोग ऐसी स्वरचित कहानियाँ बेचकर सम्मान और दौलत कमा रहे हैं।

 

एक दूसरा ज्योतिष बता रहा था कि कुछ लोग शादी का निर्णय जल्दबाजी में कर लेते हैं, इस कारण परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। अगर आप अपनी ही राशि का जीवनसाथी चुनते हैं तो आपको जिंदगी भर कष्ट झेलने पड़ेंगे क्योंकि जब आपकी राशि संकट में होगी तो आपका पार्टनर भी संकट में रहेगा। जबकि अन्य राशि में शादी करने से ऐसा नहीं होगा। क्या कमाल का तर्क है मुझे नहीं पता इससे बड़ी मूर्खता क्या होती होगी कि जीवन में संकट नाम के आधार पर आते हैं लेकिन दुःख का विषय यह है कि लोग आज के भारत में किस तरह इन लोगों की आजीविका का साधन बने हुए हैं। मशहूर लेखक शेक्सपीयर ने भले ही कहा हो कि नाम में क्या रखा है गुलाब को यदि गुलाब न कह कोई दूसरा नाम देंगे तो क्या उस की खुशबू गुलाब जैसी नहीं रहेगी? लेकिन उन्हें क्या पता था कि आगे चलकर नाम से ही लाखों करोड़ों का व्यापार खड़ा हो जायेगा।

 

जबकि एक रिश्ते को संवारने में दोनों तरफ से कई सारी कोशिशों की जरूरत होती है और कई सारी चीजों को ध्यान में रखने की। ऐसे में किसकी राशि क्या है, उतना महत्त्वपूर्ण नहीं होता है। लड़का हो या लड़की नाम तो कुछ ना कुछ होगा ही क्योंकि हम नाम भविष्य के निर्माण या वैवाहिक संबंधों के लिए नहीं रखते। नाम किसी भी इन्सान को पुकारने के लिए, संबोधन के लिए होता है। यदि हम आचार-विचार, व्यवहार सोच और शिक्षा आदि गुण छोड़कर नाम और राशि के हिसाब से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करने लगें तो मुझे नहीं लगता हम विश्व को कोई अच्छा समाज दे पाएंगे।

 

 

सम्पूर्ण विश्व में जहाँ लोगों की सुबह प्रार्थना उपासना और ईश्वर भक्ति के साथ शुरू होती है वहां भारत में आजकल लोगों की सुबह इनकी ठगविद्या की गिरफ्त में जकड़ी जा रही है। भले ही आज हम मंगल पर यान भेज रहे हैं, लेकिन मांगलिक दोष से हमारा पीछा नहीं छूट रहा है। हम मंगल पर जा सकते हैं ये विज्ञान और टैक्नोलॉजी का विषय है लेकिन मंगल हम पर या हमारे जीवन पर कोई असर करता है इस अंधविश्वास से कमाई का विषय जरूर है।

 

अभी तक लोगों ने सिर्फ मांगलिक दोष के बारे में जाना होगा इसके अलावा भी इनकी जेब में कुंडली मिलान से सम्बन्धित अनेक योग हैं जिनको दोष का नाम देकर ज्योतिषियों ने समाज मे बिना बात का भय व्याप्त कर रखा है। ऐसा ही एक योग है विषकन्या योग जिसे विषकन्या दोष भी कहा जाता है। इस योग पर भी मांगलिक दोष की तरह ही विवाह से पूर्व विचार किया जाता है लेकिन इस दोष को केवल स्त्री की कुंडली में ही देखा जाता है। यानि सिर्फ विषकन्या ही पैदा होती है विष पुरुष नहीं। इन्होंने इसके लिए एक मन्त्र भी घड़ रखा है विषयोगे समुत्पन्ना मृतवत्सा च दुर्भगा। वस्त्राभरणहीना च शोकसंतप्तमानसा! अर्थात् विषकन्या योग में जन्म लेने वाली स्त्री के प्रजनन अंगो में विकृति होती है और वह मृत सन्तान को जन्म देती है तथा वस्त्रों आभूषणों से महरूम होकर मन से दुखी होती है।

 

अब सवाल यही है कि ये ठग जिस किसी बहन बेटी को विष कन्या घोशित करते होंगे उसके मन पर क्या बीतती होगी? कुछ लोग सोच रहे होंगे ये सारी कमियां धर्म में हैं तो मैं बता दूँ ये विकृतियाँ धर्म में नहीं हैं बल्कि आपके भय में है। क्योंकि ईश्वर सबके साथ है और इन्सान अनंत चैतन्य ईश्वर का ही अंश है। समस्त सृष्टि का जन्मदाता ईश्वर है ये हमारी आस्था है यही हमारा मूल धर्म है। किन्तु ईश्वर है और वह मेरी सभी भौतिक सामाजिक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए देवस्थानों या मूर्तियों, पोथी पत्रों इत्यादि में वास करता है ये अंधविश्वास है। आज सांसारिक लोगों की सामान्य लालसाओं और अपेक्षाओं को जानते हुए कई लोगों ने अंधविश्वास की बड़ी-बड़ी दुकानों को रच दिया। हालत तो ये हो गई कि ईश्वर उपासना के महत्त्व से ही हम बहुत दूर निकल आए। इस कारण इन दुकानदारों के हम सिर्फ ग्राहक बनकर रह गये। भजन हवन ईश्वर के गुणगान करने के तरीके हैं और उस परमशक्ति का जितना गुणगान किया जाए उतना कम है, लेकिन अगर इस सबके द्वारा में घर, गाड़ी, पदोन्नति आदि की चाह है तो ये न पूजा है न ही भजन यह भी हमें स्वीकार करना चाहिए कि जिन बातों का कोई तुक नहीं दिखाई देता उनका पल्ला पकड़ के रखना घोर अंधविश्वास है शायद इसी कारण टी.वी. और सड़क पर बैठा एक ज्योतिषी आपके भाग्य का विधाता बन बैठा है। क्या यह धर्म विरोधी नहीं है!- विनय आर्य।

 

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh