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बेकाबू होता सोशल मीडिया

दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
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वो दिन दूर नहीं जब आप सुबह सोकर उठे और आपकी सोशल मीडिया वॉल पर लोग आपको श्रद्धांजलि अर्पित करते दिख जाएं! यदि आप थोड़े से भी जाने-पहचाने चेहरे हैं तो यह भी हो सकता है कि भारत के बड़े मीडिया घराने अपनी-अपनी न्यूज़ वेबसाइटों पर आपकी मौत की खबर प्रसारित कर आपके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करते नज़र आएं।

सोशल मीडिया के ज़रिये आजकल देश में हर कोई पत्रकार बना बैठा है और देश की पत्रकारिता इन्हीं सोशल मीडिया के गैर ज़िम्मेदार पत्रकारों पर निर्भर दिख रही है। एक बार फिर महाशय धर्मपाल जी की मौत की झूठी खबर जिस तरह प्रसारित हुई शायद मेरे कथन की पुष्टी करने के लिए काफी होगी।

आखिर इस खबर से रूबरू कौन नहीं हुआ होगा! दो दिन पहले सोशल मीडिया के किसी स्वघोषित पत्रकार ने विश्व प्रसिद्ध मसाला कंपनी एमडीएच के मालिक, महाशय धर्मपाल गुलाटी के निधन की झूठी खबर प्रसारित कर दी थी। जिसके बाद बिना जांच परख किये, बिना पुष्टी और विश्वसनीयता जांचे, देश के बहुत सारे न्यूज़ पोर्टलों ने यह खबर अपने पोर्टलों पर प्रसारित की। जबकि शनिवार को जिस समय इस झूठी खबर को फैलाया जा रहा था, उस समय महाशय जी देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर थे। वे उन्हें इस वर्ष अक्तूबर माह में  दिल्ली में आयोजित होने जा रहे अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन के लिए निमंत्रण पत्र दे रहे थे। किन्तु सोशल मीडिया पर स्वघोषित पत्रकार बने लोग महाशय धर्मपाल जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे।

गृहमंत्री राजनाथ जी को अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन के लिए निमंत्रण पत्र देते महाशय धर्मपाल जी

हालांकि उनके निधन की झूठी खबर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद परिवार की तरफ से एक वीडियो जारी कर इस खबर को गलत साबित किया गया। इस बात की पुष्टि के लिए दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य ने महाशय जी के साथ बैठकर एक वीडियो जारी किया, जिसमें महाशय जी साफ संदेश देते हुए कह रहे हैं कि वे एकदम स्वस्थ्य हैं।

सोशल मीडिया पर फर्जीवाड़े का शिकार होने की यह कोई पहली घटना नहीं है, गत वर्ष हिंदी फिल्म सिनेमा के सुप्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन की मौत की खबर भी इसी तरीके से फैलाई गयी थी। देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी इसका शिकार हो चुके हैं। जब आतंकी संगठन हाफिज सईद के ट्विटर अकाउंट से जेएनयू छात्रों के समर्थन में जारी ट्वीट पर गृहमंत्री के ट्वीट करने से विवाद हो गया था।

यानि जो सोशल मीडिया एक समय सभी के लिए सूचना हासिल करने और साझा करने का पसंदीदा तंत्र था आज वह झूठ की एक बड़ी दुकान बनता जा रहा है। इसे कुछ ऐसे समझिये कि एक चाकू जो ज़रूरत के लिए सुविधा से फल-सब्ज़ी काटने के लिए बना था कुछ लोग उससे गले रेत रहे हैं।

सोशल मीडिया के इस विशाल संसार के नेटवर्क का इस्तेमाल झूठी खबरों के लिए इस कदर हो रहा है जिससे बड़ा तबका भ्रमित हो रहा है। ये आसान भी है! क्योंकि गलत नाम और परिचय के साथ सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाया जा सकता है और आपकी मौत की खबर कौन प्रसारित कर रहा है आपको पता तक नहीं चल पाता। यहां लोग फेक न्यूज़ फैला सकते हैं, फैला रहे हैं, कोई रोकने वाला नहीं है। इसी का नतीजा है कि जिस तरह घरों में बच्चों को बताना होता है कि अंजान आदमी से कुछ लेकर नहीं खाना चाहिए वैसे ही लोगों को बताना पड़ रहा है कि सोशल मीडिया पर आंख मूंदकर विश्वास मत करो। कारण इसी सोशल मीडिया के ज़रिये पिछले कुछ समय में बच्चे चोरी होने की अफवाह के कारण देश के अलग-अलग राज्यों में लगभग तीस से ज़्यादा लोग भीड़ द्वारा मारे जा चुके हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लगभग 20 करोड़ फेसबुक यूज़र्स हैं और लगभग 5 करोड़ लोग ट्विटर पर हैं। यानि ऐसी कोई भी वीडियो, फोटो या झूठ कुछ मिनटों में इन माध्यम से दुनियाभर में फैलाया जा सकता है। कुछ समय पहले एक पोस्ट तेज़ी से वायरल हुई थी जिसमें आरएसएस के कार्यकर्ताओं को ब्रिटेन की महारानी को गार्ड ऑफ ऑनर देते दिखाया गया था। इसे फोटोशॉप के जरिए मॉर्फ करके बनाया गया था, किन्तु ये फोटो इतनी तेज़ी से वायरल हुई कि काँग्रेस के एक वरिष्ठ नेता तक ने इसे अपनी वॉल पर पोस्ट किया था।

हालांकि असत्य और सत्य की लड़ाई दुनिया में काफी पहले से है किन्तु असत्य इतना संगठित पहले कभी नहीं रहा जितना अब हो रहा है। देखा जाये तो इस असत्य से कोई नहीं बच रहा है। महात्मा गांधी की एक फोटो जिसमें वह विदेशी महिला के साथ नज़र आते हैं, जबकि वास्तविक फोटो में महिला की जगह जवाहर लाल नेहरू हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जी की फोटो जिसमें वह लालकृष्ण आडवाणी के पांव छू रहे थे, जिसमें बदलाव कर श्री आडवाणी के स्थान पर अकबरुद्दीन ओवैसी का चेहरा लगा दिया गया। भ्रामक जानकारियां बड़ी तादाद में पैदा की जा रही हैं, और बांटी जा रही हैं। क्या सच है और क्या झूठ, ये जानना-समझना अब सचमुच बड़ा प्रश्न बन चुका है। किस खबर पर विश्वास करें किस पर नहीं यह बहुत ज़रूरी प्रश्न आज हमारे सामने मुंह खोले खड़ा है।

इससे कुछ हद तक बचा जा सकता है किन्तु बचने में सबसे पहले देश के बड़े मीडिया संस्थानों को आगे आना होगा। उन्हें अपनी वेबसाइटों पर न्यूज़ अपलोड करने वालों को हिदायत देनी होगी कि सबसे पहले खबर प्रसारित करना अच्छी बात है किन्तु खबर के स्रोत, उसकी तथ्यात्मक जानकारी के साथ हो, वह पुष्टी के साथ हो, ताकि बाद में शर्मिंदा ना होना पड़े।

यदि समय रहते इस पर सावधानी नहीं बरती गयी, निगरानी नहीं रखी गई तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। क्योंकि हर कोई चुटकुले या हसीं मज़ाक का वीडियो तो पोस्ट नहीं कर रहा है। अनेकों लोग झूठ भी परोस रहे हैं। जिनका शिकार सिर्फ हम और आप नहीं बल्कि महाशय धर्मपाल से लेकर रतन टाटा और देश के गृहमंत्री से लेकर स्वयं देश के प्रधानमंत्री तक बन चुके हैं।..राजीव चौधरी

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