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ए. आर. रहमान आज वह नाम बन चुके हैं जो दुनियाभर में भारतीय संगीत का झंडा लिए अगुवाई कर रहे हैं. ए आर रहमान का पूरा नाम अल्लाह रक्खा रहमान है. आज उनका जन्म दिवस है. ए आर रहमान एक ऐसी शख्सियत हैं जो शब्दों से कम और अपने संगीत से ज्यादा बोलते हैं. दुनियाभर में अपनी प्रसिद्धि फैलाने के बाद भी अक्सर वह मीडिया से दूर रहते हैं.
ए. आर. रहमान का जन्म 6 जनवरी 1966 को चेन्नई में हुआ था. जन्म के समय उनके माता पिता ने उनका नाम दिलीप कुमार रखा था. रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिला था. उनके पिता आरके शेखर मलयाली फ़िल्मों में संगीत देते थे. आज सफलता के शिखर पर बैठे ए आर रहमान की बचपन की कहानी सुन किसी के भी आंखों में पानी आ जाए. रहमान जब मात्र 9 साल के थे तब ही उनके पिता का देहांत हो गया और उनके घर में आर्थिक तंगी आ गई. किसी तरह संगीत के वाद्य यंत्र किराए पे देकर गुजर-बसर किया. हालात इतने बिगड़ गए कि उनके परिवार को इस्लाम अपनाना पड़ा. 70 के दशक में रहमान ने इस्लाम धर्म ग्रहण किया.
रहमान ने संगीत की आरंभिक शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की और मात्र 11 वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते रहे. वे इलियाराजा के बैंड के लिए काम करते थे. 1991 में पहली बार रहमान ने गाना रिकॉर्ड करना शुरु किया. 1991 में रहमान ने घर के पिछवाड़े में अपना स्टूडियो शुरू किया. शुरुआत में उन्होंने विज्ञापनों और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों में संगीत दिया. हिन्दी फिल्मों के लिए उन्होंने 1992 में पहली बार फिल्म रोजा के लिए संगीत दिया था. अपनी पहली हिन्दी फिल्म “रोजा” के गीतों से ही रहमान ने ऐसा जादू बिखेरा जो आज भी कायम है. फिल्म रोजा के संगीत को टाइम्स पत्रिका ने टॉप टेन मूवी साउंडट्रेक ऑफ ऑल टाइम इन 2005 में जगह दी. उसके बाद देश की आजादी की 50 वीं वर्षगाँठ पर 1997 में “वंदे मातरम” एलबम बनाया, जो जबरदस्त सफल रहा था. उन्होंने जाने-माने कोरियोग्राफर प्रभुदेवा और शोभना के साथ मिलकर तमिल सिनेमा के डांसरों का ग्रुप बनाया, जिसने माइकल जैक्सन के साथ मिलकर स्टेज कार्यक्रम दिए.
अगर आज तक के रहमान के अवार्डों पर नजर डालें तो लगेगा जैसे रहमान कोई अवार्ड पुरुष हैं. रहमान को अब तक सर्वाधिक 14 फिल्मफेयर अवार्ड, 11 फिल्मफेयर अवार्ड साउथ, चार राष्ट्रीय पुरस्कार, दो अकादमी, दो ग्रेमी अवार्ड और एक गोल्डन ग्लोब अवार्ड मिला है. उनके स्लमडॉग मिलेनियर के गाने “जय हो” के लिए तो उन्हें ऑस्कर पुरस्कार से भी नवाजा गया था. और इन सब के साथ रहमान को साल 2000 में पद्मश्री और 2010 में पद्म विभूषण से भी नवाजा गया है.
एक बेहतरीन संगीतकार होने के साथ रहमान एक आदर्श पुरुष भी हैं जो इतनी सफलता के बाद भी हमेशा नम्र रहते हैं. उनकी निजी जिंदगी कभी भी सवालों या विवादों के घेरे में नहीं आई. आज जहां हर संगीतकार पर चोरी का आरोप लगना आम बात है वहीं ऐसा कोई नहीं है जो रहमान के गानों को चोरी किया या गलत बताए. भारत का यह सुर सम्राट आज विदेशों में भी अपनी आवाज और संगीत को पहचान दिला रहा है.
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