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गीतकार जिसने बनाए कई कलाकार: आनंद बख्शी

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Anand BakshiProfile in Hindi

हिन्दी सिनेमा जगत में अगर यह इंसान ना होते तो शायद कई संगीतकार, गायक और अभिनेता आज इतने प्रसिद्ध ना होते. इनके लिखे गाने गाकर ही किशोर कुमार सरीखे गायकों ने अपनी पहचान बनाई, इन्हीं के गीतों ने राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे स्टार को सुपरस्टार बनाया. यह हैं गीतकार आनंद बख्शी.


अभिनय के “सर”


यूं तो आनंद बख्शी को गायक बनना था लेकिन उनकी किस्मत ने असली रंग दिखाया गीतकार की भूमिका में. चार दशकों से अधिक समय के अपने कॅरियर में कई सुपरहिट गीत देने वाले हरफनमौला गीतकार आनंद बख्‍शी ने कई सितारों, निर्देशकों और संगीतकारों की किस्मत चमकाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.


Ananad Bakshiसदाबहार गीतों के शिल्‍पकार
चिंगारी कोई भड़के…, मैंने पूछा चांद से…. और तुझे देखा तो ये जाना सनम… जैसे एक से बढ़कर एक गीतों के रचनाकार आनंद बख्शी मायानगरी में गायक बनने की हसरत लेकर आए थे लेकिन बन गए गीतकार.



अपने फिल्मी कॅरियर में 4000 से अधिक गीतों की रचना करने वाले बख्शी की खासियत यही थी कि इतने गीतों की रचना करने के बावजूद वह हर नए गीत में नया रंग भर देते थे.


Anand Bakshi’s Profile:मैकेनिक से बने गीतकार
आनंद बख्शी का जन्म 21 जुलाई, 1920 को रावलपिंडी में हुआ. जब वह महज दस साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया. विभाजन के बाद उनका परिवार 1947 में भारत चला आया. भारत में उनका परिवार लखनऊ आया लेकिन लखनऊ में आनंद जी का मन नहीं लगा और वह घर छोड़ कर मुंबई आ गए. मुंबई पहुंच कर उन्होंने रॉयल इंडियन नेवी में कैडेट के पद पर दो वर्षों तक काम किया. बाद में एक विवाद के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी. इसके बाद 1947 से 1956 तक उन्होंने सेना में भी नौकरी की.


जिस समय वह सेना में थे उस समय वह हर समय गाना लिखते और उन्हें सुनाया करते थे. उनके दोस्तों ने उन्हें सलाह दी कि वह फिल्मों में अपना भाग्य आजमाएं और उन्होंने वही किया.


Anand Bakshi’s hit songs

आनंद बख्‍शी को पहली बार भगवान दादा ने अपनी फिल्‍म बड़ा आदमी (1956) के लिए गीत लिखने को कहा. लेकिन इससे उन्‍हें सफलता नहीं मिली. मेंहदी लगी मेरे हाथ (1962)’ और जब-जब फूल खिले(1965)’ की सफलता मिलने तक उन्‍हें संघर्ष करना पड़ा. इन फिल्‍मों के प्रदर्शन के साथ ही उनको लोकप्रियता मिलनी शुरू हो गई. परदेसियों से न अँखियाँ मिलाना और यह समा है प्यार का जैसे लाजवाब गीतों ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया.


वर्ष 1967 में प्रदर्शित सुनील दत्त और नूतन अभिनीत फिल्म “मिलन” के गाने सावन का महीना पवन करे शोर.., युग युग तक हम गीत मिलन के गाते रहेंगे.., राम करे ऐसा हो जाये.. जैसे सदाबहार गानों के जरिये वह गीतकार के रूप में बहुत ऊंचे उठ गए.


इसके बाद बख्शी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने अपने कॅरियर में अमर प्रेम, एक दूजे के लिए, सरगम, बाबी, हरे रामा हरे कृष्णा, शोले, अपनापन, हम, मोहरा, दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, परदेस, ताल और मोहब्बतें जैसी 300 से अधिक फिल्मों में एक से बढ़कर एक सुपरहिट गीत लिखे.


40 बार फिल्मफेयर नामांकन

बख्शी 40 बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हुए लेकिन इस सम्मान से उन्हें केवल चार बार ही नवाजा गया. इनमें से आदमी मुसाफिर है (अपनापन), तेरे मेरे बीच में (एक दूजे के लिए), तुझे देखा तो ये जाना सनम (दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे) और इश्क बिना (ताल) के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार मिला.


सिगरेट के अत्यधिक सेवन की वजह से वह फेफड़े तथा दिल की बीमारी से ग्रस्त हो गए. आखिरकार 82 साल की उम्र में अंगों के काम करना बंद करने के कारण 30 मार्च, 2002 को उनका निधन हो गया.


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