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वैसे तो हंसी मजाक के लिए कोई दिन और समय नहीं होता. यह तो एक ऐसी चीज है जो हर इंसान के जीवन में संजीवनी का काम करती हैं. आप औरों की अपेक्षा ज्यादा खुश और स्वस्थ लगते हैं. हंसी का एक फव्वारा सारी निराशा को भुलाकर आपके जीवन में ढेर सारे रंग भर देता है.
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इस बात के मद्देनजर 1 अप्रैल को पूरी दुनियाभर में अप्रैल फूल या मूर्ख दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों, पड़ोसियों के साथ हंसी मजाक करते हैं. इस हंसी मजाक का अगर कोई शिकार हो जाता है तो उसे अप्रैल फूल का नाम दिया जाता है. यह दिन ऐसा है जिसके जरिए हर आदमी को एक-दूसरे को सार्वजनिक रूप से मूर्ख बनाने का संवैधानिक अधिकार मिल जाता है.
विदेशों में मूर्ख दिवस
न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में दोपहर के 12 बजे तक ही अप्रैल फूल का मजाक चलता है. फ्रांस, अमेरिका, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान, रूस, कनाडा और जर्मनी में यह पूरे दिन चलता है.
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भारत में मूर्ख दिवस
भारत के लोग भी दुनिया से खासकर पश्चिमी देशों से प्रभावित होकर मूर्ख दिवस मनाते हैं. भारत में यह दिवस इतना लोकप्रिय है कि बच्चे से लेकर युवा तक हर कोई लोगों को मूर्ख बनाने के लिए योजना बनाते हैं. यहां लोग उन चीजों पर अधिक मजाक करते हैं जो कल्पना में तो सोची जा सकती हैं लेकिन वास्तविक रूप में हैं ही नहीं.
देवताओं का मूर्ख दिवस
वैसे भारत में देवी-देवता भी हंसी मजाक करने में पीछे नहीं रहे. ऐसा माना जाता है कि वह दूसरों को बेवकूफ बनाने के लिए बहुरूपिया रूप धरते थे. भगवान श्री कृष्ण को कौन भूल सकता है जिन्होंने महाभारत में कई जगह कौरवों का मजाक उड़ाया और उन्हें बेवकूफ बनाया. उन्होंने तो अपने बड़े भाई बलराम का भी खूब मजाक उड़ाया. वैसे सोने का हिरण बनकर, अपने पीछे दौड़ाकर जहां मारीचि ने भगवान राम को भी अप्रैल फूल बना दिया था तो वहीं रावण ने साधु का वेश धारण कर सीताजी को लक्ष्मण-रेखा लंघवाकर अप्रैल फूल बनाया था. वैसे मूर्ख बनाने में भगवान हनुमान भी पीछे नहीं रहे. उन्होंने भी कई मौकों पर रावण की सेना को मूर्ख बनाया.
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मूर्ख दिवस, अप्रैल फूल.
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