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कहते हैं किस्मत पर किसी का बस नहीं चलता, किसकी किस्मत कब फिर जाए कोई कह नहीं सकता. हालांकि यह कहावत सभी लोगों के जीवन पर लागू होती है लेकिन बॉलिवुड और किस्मत का खेल वाकई बहुत पुराना है. हिंदी फिल्म इण्डस्ट्री एक ऐसी दुनियां है जहां लक जैसी चीजें बहुत प्रभावी सिद्ध होती हैं. लक अच्छा है तो कम मेहनत किए भी अभिनय का सितारा चमक सकता है वरना बॉलिवुड किसी कलाकार को भूलने में देर भी नहीं लगाता. अरशद वारसी भी एक ऐसे ही अभिनेता हैं जिनमें भले ही कमाल की अभिनय क्षमता है लेकिन अगर आज वह लोकप्रिय हैं तो इसका सारा श्रेय उनकी किस्मत को ही जाता है. पूरी तरह फ्लॉप साबित हो रहे अरशद वारसी जैसे ही मुन्नाभाई एमबीबीएस के सर्किट बने इनकी दुनियां ही बदल गई. आज इनका जन्मदिन है.
अरशद वारसी का शुरुआती कॅरियर
अरशद वारसी का जन्म 19 अप्रैल, 1968 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने नासिक स्थित बरनेस बोर्डिंग स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की. 14 साल की उम्र में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद अरशद वारसी का जीवन बेहद कठिनाइयों में बीता. आर्थिक परेशानियां होने के कारण मात्र 17 वर्ष की उम्र में अरशद वारसी सेल्समैन के रूप में कार्य करने लगे. उसके बाद उन्होंने एक फोटो लैब में काम करना शुरू किया. डांस में रुचि होने के कारण अरशद वारसी को प्रसिद्ध कोरियोग्राफर अकबर सामी के डांस ग्रुप में शामिल होने का अवसर मिला. यहीं से उन्होंने कोरियोग्राफर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया. वर्ष 1987 में प्रदर्शित हुई फिल्म ठिकाना और काश में बतौर सहायक निर्देशक उन्होंने महेश भट्ट के साथ काम किया. वर्ष 1991 में अरशद वारसी ने इंडियन डांस कम्पिटीशन का खिताब अपने नाम किया और 21 वर्ष की उम्र में लंदन में हुई मॉडर्न डांस चैंपियनशिप में जैज़ श्रेणी में चौथा इनाम जीता. जीते हुए पैसों से अरशद वारसी ने ऑसम नाम से अपना डांस स्टूडियो खोला. उन्होंने रूप की रानी चोरों का राजा फिल्म के टाइटल गाने को भी कोरियोग्राफ किया था.
बॉलिवुड में बतौर अभिनेता
अपने डांस और थोड़ा-बहुत एक्टिंग करने की क्षमता की वजह से उन्हें 1996 में पहली बार फिल्म में बतौर हीरो काम करने का मौका मिला जब अमिताभ बच्चन की होम प्रोडक्शन कंपनी के बैनर तले पहली फिल्म बनी. 1996 में आई फिल्म “तेरे मेरे सपने” से अरशद वारसी के अभिनय कॅरियर की शुरूआत हुई. यह फिल्म हिट रही लेकिन इसके बाद अरशद ने जितनी भी फिल्में की सभी फ्लॉप ही साबित हुईं. लेकिन अरशद ने हार नहीं मानी और 2003 में उन्हें एक ऐसी फिल्म मिली जिसने उनकी पहचान ही बदल दी.
सर्किट के किरदार में अरशद वारसी
2003 में प्रदर्शित हुई फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस में अरशद वारसी ने सर्किट का किरदार निभाया जिसमें उनका अभिनय अत्याधिक सराहा गया. आलोचकों ने भी उनकी कॉमेडी टाइमिंग की बहुत तारीफ की. यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई. इसका फायदा यह हुआ कि अरशद में अब निर्देशकों को अच्छा कॉमेडियन भी दिखने लगा. उनके पास फिल्मों की लाइन लग गई. मुन्नाभाई एमबीबीएस के लिए पहली बार अरशद वारसी को फिल्मफेयर अवार्ड फॉर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए नामांकित किया गया.
एक्शन और कॉमेडी का बेमिसाल मेल – धर्मेंद्र
मुन्नाभाई एमबीबीएस के बाद अरशद की कई फिल्में आईं जो बेहद सफल रहीं जिसमें से प्रमुख हैं मैंने प्यार क्यूं किया, सलाम नमस्ते, गोलमाल और लगे रहो मुन्नाभाई. फिल्म लगे रहो मुन्नाभाई के लिए उन्हें पहला फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला. अरशद वारसी की फिल्म इश्कियां बेहद सफल फिल्मों में से एक है.
अरशद वारसी का निजी जीवन
वर्ष 1999 में अरशद वारसी ने वीजे रह चुकी मारिया गोरेटी के साथ विवाह किया. इन दोनों के दो बच्चे हैं.
बॉलिवुड के अलावा अरशद ने छोटे पर्दे पर भी बहुत नाम कमाया है. अरशद वारसी बिग बॉस सीजन 1 के होस्ट बने थे. उन्होंने स्टार गोल्ड पर आने वाले शो सबसे फेवरेट कौन को भी होस्ट किया था. आज अरशद वारसी भले ही बेहतरीन कॉमेडियन के तौर पर जाने जाते हैं लेकिन गंभीर और संजीदा फिल्मों में भी उनकी अदाकारी को हमेशा सराहा गया है.
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