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वैशाखी का पर्व आते ही पंजाब सहित समस्त उत्तर भारत में उत्साह और उमंग का माहौल छा जाता है. इस समय हरे-भरे खिलखिलाते और झूमते रबी की फसल पकने के बाद किसानों के चेहरे की चमक देखने लायक होती है. अच्छी फसल किसानों के लिए कुदरत की देन है इसलिए किसान इस अवसर पर कुदरत का धन्यवाद झूमकर, नाचकर करते हैं और ढोल-नगाडे बजाकर अपनी खुशिया बांटते हैं.
वैशाखी पर्व के बारे में क्या कहता है इतिहास
इतिहास में वैशाखी पर्व का एक अपना विशेष महत्व है. सिक्खों के दूसरे गुरु श्री अंगद देव जी का जन्म इसी माह में हुआ था. पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृ्ष्टि की रचना इसी दिन की थी. महाराजा विक्रमादित्य के द्वारा श्री विक्रमी संवत का शुभारंभ इसी दिन से हुआ था. भगवान श्री राम का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ था. इसलिए इसे “पर्वों का महापर्व” नाम से भी जाना जाता है.
क्यों मनाया जाता है वैशाखी पर्व
यह पर्व फसल के तैयार होने के रूप में मनाया जाता है जिसे हम रबी की फसल के नाम से जानते हैं. गेहूं , दलहन, तिलहन और गन्ने की फसल रबी की फसल के रुप में किसान को प्राप्त होती है. उत्तर भारत में किसानों के लिए यह पर्व बेहद ही खास होता है. फसल को देख किसान अपने उमंग और उत्साह को रोक नहीं पाते और झूमने पर मजबूर हो जाते हैं. इस दिन किसान पकी हुई फसल को अग्नि देव को अर्पित करने के बाद इसका कुछ भाग प्रसाद रूप में लोगों में बांट देते हैं.
वैशाखी पर्व – नये साल की शुरुआत का दिन
13 अप्रैल के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं. इस दिन को हम नववर्ष के रूप में भी मनाते हैं. नए सृ्जन के साथ इस दिन सांस्कृ्तिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. रंगारंग कार्यक्रमों के तहत इस दिन को नये साल के स्वागत के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मां दुर्गा और शिव की पूजा की जाती है. सार्वजनिक स्थलों पर नृ्त्य-गान और लोकसंगीत प्रस्तुत किये जाते हैं. इस अवसर पर लोग नए वस्त्र पहनते हैं तथा घरों में विशेष रूप से मिठाइयां और पकवान बनाये जाते हैं.
वैशाखी पर्व मनाने में पंजाब है आगे
उत्तर भारत में खासकर पंजाब के लिए कृषि का अपना विशेष महत्व है. वहां के किसानों का अपने फसलों के प्रति लगन और जज्बा कहीं और देखने को नहीं मिलता. आज भी यहां अधिकतर लोग कृषि को अपने आजीविका के रूप में देखते हैं और उसमें निरंतर सुधार कर बेहतर फसल देने की कोशिश करते हैं. उस मायने में वैशाखी पर्व पंजाब के लिए एक बड़े त्यौहार के रूप में देखा जाता है. इस त्यौहार में पंजाब के लोग लोकसंगीत, लोकगीत, लोकनाट्य प्रस्तुत कर इसे और सुनहरा बना देते हैं.
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