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भैरो सिंह शेखावत: बेबाक राय की वजह से शेखावत पार्टी में कोपभाजन बने रहे

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भैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) उनमें से नहीं थे. उनकी विशेषता थी कि जब वह किसी विषय पर अपनी बात रखते थे तब एक परिपक्व राजनेता साथ-साथ एक निडर व्यक्तित्व की छवि भी साफ दिखाई देती थी. अपनी इसी साफगोई की वजह से शेखावत भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कोपभाजन भी बने रहे.


bhairon singh shekhawatभैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) का जीवन-परिचय

भैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat)का जन्म 23 अक्टूबर, 1923 को राजस्थान के सीकर जिले में हुआ था. पिता की मृत्यु हो जाने के कारण भैरो सिंह शेखावत केवल स्कूल स्तर की पढ़ाई ही संपन्न कर पाए. परिवार को आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से शेखावत ने किसान और सब-इंसपेक्टर के रूप में भी कार्य किया था. इनकी पत्नी का नाम सूरज कंवर था. भैरो सिंह शेखावत के तीन बच्चे (एक बेटी और दो बेटे) हैं. भैरो सिंह शेखावत भारतीय जनता पार्टी के सदस्य रहे.


भैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) का व्यक्तित्व

भैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) को बाबोसा (परिवार का सबसे बड़ा सदस्य) कहकर संबोधित किया जाता था. इसी से यह ज्ञात हो जाता है कि वह एक जिम्मेदार और परिपक्व राजनेता थे. वह अपने नागरिकों के विकास को लेकर हमेशा प्रयासरत रहा करते थे. मंझे हुए राजनीतिज्ञ होने के अलावा वह एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी भी थे.



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भैरो सिंह शेखावत की सभी जगह स्वीकार्यता

भैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) उन राजनेताओं में से थे जिनकी स्वीकार्यता हर जगह थी. उनका सिर्फ भाजपा में ही नहीं बल्कि पार्टी के बाहर भी शेखावत का कद बेहद बड़ा था. विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर के बाद शेखावत ही बचे थे, जिनकी हर पार्टी और हर समुदाय में न केवल स्वीकार्यता थी, बल्कि प्रतिष्ठा भी थी. विरोधी भी उनकी बात गंभीरता से सुनते थे.


भैरो सिंह शेखावत का राजनैतिक सफर

भैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) ने वर्ष 1952 में राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश किया. वर्ष 1967 के चुनावों के दौरान भैरो सिंह शेखावत ने राजनैतिक दल भारतीय जन संघ और स्वतंत्र पार्टी को संगठित कर सरकार का निर्माण करना चाहा, पर वह सफल नहीं हो सके. लेकिन 1977 में जब संघ परिवार को सर्व आयामी विजय प्राप्त हुई, उस समय शेखावत के गठबंधन दल को भारी बहुमत के साथ विजय प्राप्त हुई. इस दौरान भैरो सिंह शेखावत राजस्थान के मुख्यमंत्री बनाए गए. भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद 1989 के चुनावों में पार्टी को राजस्थान में अभूतपूर्व सफलता मिली. भारतीय जनता पार्टी और जनता दल के गठबंधन ने आगामी लोकसभा चुनावों में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की. इस जीत के बाद भैरो सिंह शेखावत दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए.


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भैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) एन.डी.ए. सरकार की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में खड़े हुए लेकिन कांग्रेस की प्रत्याशी प्रतिभा देवी सिंह पाटिल से हार गए.


भैरो सिंह शेखावत का निधन

भैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) कैंसर से पीड़ित थे. उन्होंने देश के लगभग हर बड़े अस्पताल में अपना इलाज करवाया. 15 मई, 2010 को सवाई मान सिंह अस्पताल, जयपुर में उनका निधन हो गया. विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर के बाद भैरो सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) के जाने से ­­­भारतीय राजनीति में एक ऐसा खालीपन हो गया जिसकी भरपाई करना मुश्किल है.


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