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लंबी कद-काठी, फौलादी सीना और हुंकार भरी आवाज वाले ‘दारा सिंह’… ना केवल पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री बल्कि हिंदी सिनेमा के भी चहेते थे. हालांकि आज वो हमारे बीच नहीं है लेकिन आज भी उनकी प्रशंसा इस फिल्मी दुनिया में बढ़चढ़कर की जाती है. उनका नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है और यह हिंदी सिनेमा उन्हें हमेशा उनकी अदाकारी के लिए सलाम करता था और आगे भी करता रहेगा.
आज उनके 86वें जन्मदिन के अवसर पर सभी उन्हें याद कर रहे हैं. यूं तो लोगों को उनका हर किरदार पसंद आता था लेकिन उनके द्वारा रामानंद सागर के लोकप्रिय धारावाहिक रामायण में दर्शाया गया हनुमान जी का किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि सब देखते ही रह गए.
12 जुलाई 2012 को मुंबई में हुई थी. उस समय अनगिनत लोगों ने उनके लिए दुआएं और प्रार्थनाएं भी की ताकि वे किसी तरह से ठीक हो जाएं लेकिन भगवान की उस मर्जी के सामने किसी की चल ना सकी और खबर आई कि ‘दारा सिंह नहीं रहे’.
रामानंद सागर के लोकप्रिय धारावाहिक रामायण से पहले कोई व्यक्ति कल्पना नहीं कर सकता था कि संकटमोचन भगवान ‘हनुमान’ आखिर दिखते कैसे थे. उन्हें बस या तो किताबों में पढ़ा गया या फिर तस्वीरों में लोगों ने देखा लेकिन टेलीविजन के इन हनुमान (दारा सिंह) ने यह बताया कि संकट को हर लेने वाले केसरीनंदन आखिर दिखते कैसे थे, उनका व्यवहार कैसा था, जिन्हें हम सुबह-शाम याद करते हैं उनकी सोच कैसी थी. उनके इस किरदार को लोगों ने पूजना तक शुरु कर दिया था. वे उन्हें हनुमान जी का असली स्वरूप मानने लगे थे.
दारा सिंह लोगों के बीच एक ऐसे योद्धा के रूप जाने जाते थे जो अपनी ताकत से अपने दुश्मन को नेस्तनाबूद कर देता था. वैसे भारत में कुश्ती एक पारंपरिक गेम है लेकिन इस गेम को जन-जन तक पहुंचाने में दारा सिंह का बहुत ही ज्यादा योगदान है. वह दिन कैसे भुलाया जा सकता है जब दारा सिंह ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी किंग कॉग को धूल चटाया. दारा सिंह ने एक पहलवान के तौर पर कई खिताब भी जीते.
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