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दीपावली का त्यौहार पांच दिनों तक चलता है. इसकी शुरूआत होती है धनतेरस से. आज चाहे महंगाई कितनी ही बढ़ चुकी हो पर धनतेरस के मौके पर लोगों की आस्था सब पर भारी पड़ती है. धनतेरस के दिन भगवान कुबेर और लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है. इस पूजा से भगवती लक्ष्मी प्रसन्न होकर आर्थिक संपन्नता और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं.
हर साल कार्तिक कृष्ण की त्रयोदशी के दिन धनवंतरि त्रयोदशी मनायी जाती है जिसे आम बोलचाल में ‘धनतेरस’ कहा जाता है. समुद्र मंथन में आज के समय ही धनवंतरि प्रकट हुए थे और आज के दिन को ही आयुर्वेद के देवता धनवंतरि के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. धन संपति की प्राप्ति हेतु कुबेर देवता के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप दान एवं मृत्यु देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर भी दीप दान करने का विधान है.
इस दिन सायंकाल में दीप दान किया जाता है तथा धनाधिपति भगवान कुबेर एवं गौरी-गणेश की पूजा श्रद्धा भाव से की जाती है. इस दिन अन्नपूर्ण स्तोत्र एवं कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने का विधान भी है. शाम के समय दीप दान (घर के बाहर दिए जलाना) जलाए जाते हैं. इस दीप दान से पूर्वज खुश होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं.
धनतेरस के दिन नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परम्परा है. आज के समय पैसे का निवेश करने के लिए सोना-चांदी से बढ़िया कुछ नहीं. इस दिन स्थित लग्न में बहुमूल्य रत्न एवं धातु, जवाहरात खरीदने का विशेष महत्व है. सोना-चांदी की खरीद से घर में समृद्धि बनी रहती है तथा देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं. बर्तन खरीदने की परंपरा भी रही है, लेकिन लौह पात्र या स्टेनलेस स्टील आदि के बर्तन खरीदने का कोई शास्त्र सम्मत प्रमाण नहीं मिलता.
लक्ष्मी की कृपा के लिए अष्टदल कमल बनाकर कुबेर, लक्ष्मी एवं गणेश जी की स्थापना कर उपासना की जाती है. इस अनुष्ठान में पांच घी के दीपक जलाकर तथा कमल, गुलाब आदि पुष्पों से उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन करना लाभप्रद होता है. इसके अलावा ओम् श्रीं श्रीयै नम: का जाप करना चाहिए. इस दिन अपने इष्टदेव की पूजा एवं मंत्रजाप विशेष फलदायी होता है.
धनतेरस का मंत्र
‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा .’
धनतेरस का मुहूर्त
अमृ्त काल मुहूर्त 06:10 से 07:37 तक सुबह
शुभ काल 09:04 से 10:32 तक सुबह
चल काल 17:49 से लेकर 19:22 तक
लाभ काल 22:27 से लेकर 24.00 तक
लाभ काल में पूजन करना लाभों में वृ्द्धि करता है. शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थ्य व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है. परंतु चल काल को अशुभ माना जाता है. यानि शाम को 05:40 बजे से 07:22 बजे तक का समय कोई सामान खरीदने के लिए शुभ नहीं है. सबसे अच्छा समय रात को साढ़े दस बजे से रात बारह बजे तक का है.
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