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होली का पर्व अपने पूरे शवाब पर छाने को तैयार है. दो दिन बाद सब तरफ होली के रंगों की धूम मची होगी. कहीं बरसाने में लठमार होली मनाई जाएगी तो कहीं फूलों की बरसात होगी, कहीं रंगों की महक फैलेगी तो कहीं गुलाल और अबीर से लोगों के चेहरे रंगे होंगे.
रंगों की इस बरसात में चलिए आपको देश भर में होने वाली होली की एक झलक दिखाते हैं और जानते हैं कि किस तरह भारत होली के रंग में रंग जाता है.
बरसाने की होली, बरसाना-नंदगांव
बरसाना में गोसेन परिवार की ‘लठ्ठमार होली’ तो सारे भारत में प्रसिद्ध है. राधा-कृष्ण की लीलाएं इसी गांव से संबंधित है. इस गांव की औरतें हाथ में लाठियां ले कर निकलती हैं. नंदगांव के पुरुष होली खेलने बरसाना गांव में आते हैं और बरसाना गांव के लोग नंदगांव में जाते हैं. इन पुरुषों को ‘होरियार’ कहा जाता है. जब नाचते झूमते लोग गांव में पहुंचते हैं तो औरतें हाथ में ली हुई लाठियों से उन्हें पीटना शुरू कर देती हैं और पुरुष खुद को बचाते भागते हैं. लेकिन खास बात यह है कि यह सब मारना पीटना हंसी खुशी के वातावरण में होता है. औरतें अपने गांवों के पुरुषों पर लाठियां नहीं बरसातीं. बाकी आसपास खड़े लोग बीच बीच में रंग बरसाते हुए दिखते हैं.
ब्रज की होली
ब्रजभूमि में गांवों की तरफ होली का मौसम माघ पूर्णिमा से रंगपंचमी (फाल्गुन कृष्ण पंचमी) तक होता है. होली के हुरियारों पर कहीं डंडों की मार पड़ती है तो कहीं कोड़ों से पीटा जाता है. गुलाल और रंगों के साथ ही कीचड़ के थपेड़े हुरियारों को झेलने पड़ते हैं. लेकिन इस मार में ही अजब सा प्यार है. यही कारण है कि ब्रज की होली का खुमार पूरे देश में चढ़ता है और हर साल लाखों लोग इस त्योहार को मनाने यहां आते हैं. होली के त्योहार की शुरुआत मंदिरों में बसंत पंचमी से हो जाती है. यह जोश फाल्गुन की नवमी तक पूरे चरम पर पहुंच जाता है. इसी दिन विश्व प्रसिद्ध बरसाने की होली मनाई जाती है.
दिल्ली की होली
देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली पर होली का रंग कुछ ज्यादा ही चढ़ता है. आधुनिकता में रंगे इस शहर में होली की उमंग अपने रोमांच के सर्वोच्च पर होती है. लेकिन इसके साथ ही अक्सर लोग यह भी शिकायत करते हैं कि दिल्ली में होली के दिन अश्लीलता और छेड़छाड़ ज्यादा होती है. लेकिन जो भी हो दिलवालों की दिल्ली की होली की अपनी अलग ही बात है.
अन्य प्रांतों में होने वाली होली में खास है पंजाब की होली जिसे होला मोहल्ला कहते हैं और इस दिन घुड़सवारी, तलवारबाजी आदि का आयोजन होता है, हरियाणा की होली भी बरसाने की लट्ठमार होली जैसी ही होती है. बस फर्क सिर्फ इतना है कि यहां देवर, भाभी को रंगने की कोशिश करते है और बदले में भाभी देवर की लाठियों से पिटाई करती हैं. यहां होली को दुल्हंदी कहते हैं. कर्नाटक में यह त्योहार कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से जला दिया था.
होली के दिन हर तरफ फगुआ गीतों की बहार होती है. लोग समूहों में निकलते हैं और ढाप तबलों की ताल पर नाचते हुए एक दूसरे से गले मिलकर रंग लगाकर होली मनाते हैं और आपसी बैर भाव को भुलाकर दोस्ती और एकता को बढ़ाने का प्रण करते हैं.
अब होली न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में समान उत्साह और हर्ष के साथ मनाई जाती है. होली का रंग सबके दिलों में समान रुप से चढ़ता है.
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