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हिंदी सिनेमा के जरिए नए बनते भारत का यथार्थ और स्वप्न रचने की कोशिश की गई. उसमें राज कपूर और देवानंद के साथ-साथ ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार ने एक अहम भूमिका अदा की. शहीद, अंदाज, आन, देवदास, नया दौर, मधुमती, यहूदी, पैगाम, मुगल-ए-आजम, गंगा-जमुना, लीडर तथा राम और श्याम जैसी फिल्मों में अपनी बेहतर अदाकारी से दिलीप कुमार स्वतंत्र भारत के पहले दो दशकों में लाखों युवा दर्शकों के दिलों की धड़कन बन गए थे. यही वजह रही कि दिलीप 25 साल की उम्र में ही हिंदी सिनेमा के सुपर स्टार बन गए.
सभ्य, सुसंस्कृत, कुलीन दिलीप कुमार ने रंगीन और रंगहीन सिनेमा के पर्दे पर अपने आपको कई रूपों में प्रस्तुत किया. वह कभी असफल प्रेमी के रूप में दिखे तो कभी हास्य भूमिकाओं में, लेकिन हर जगह उन्होंने अमिट छाप छोड़ी. असफल प्रेमी और अतिसंवेदनशील भूमिकाओं के रूप में उन्होंने विशेष ख्याति पाई जिसके बाद लोग उन्हें ट्रेजेडी किंग के नाम से पहचानने लगे.
आइए जानते हैं इस महान कलाकार के जीवन से संबंधित कुछ और बातें:
दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसम्बर, 1922 को वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर शहर में हुआ था. उनके बचपन का नाम मोहम्मद युसूफ खान था. उनके पिता का नाम लाला गुलाम सरवर था जो फल बेचकर अपने परिवार का पेट पालते थे. कहा यह भी जाता है कि फिल्मों में आने से पहले दिलीप कुमार भी पुणे में फल की दुकान लगाते थे.
‘लोकतंत्र में राजशाही’ के खिलाफ होता जनमानस
विभाजन के दौरान उनका परिवार मुंबई आकर बस गया. उनका शुरुआती जीवन तंगहाली में ही गुजरा. पिता के व्यापार में घाटा होने के कारण वह पुणे की एक कैंटीन में काम करने लगे थे. यहीं देविका रानी की पहली नजर उन पर पड़ी और उन्होंने दिलीप कुमार को अभिनेता बना दिया. उन्होंने ही यूसुफ खान की जगह नया नाम दिलीप कुमार रखा. पच्चीस वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार देश के नंबर वन अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए थे.
उनका फिल्मी कॅरियर 1944 में ‘ज्वार भाटा’ फिल्म से शुरू हुआ, लेकिन 1949 में बनी महबूब खान की फिल्म ‘अंदाज’ से वह चर्चा में आये. उनकी पहली हिट फिल्म “जुगनू” थी. 1947 में रिलीज हुई इस फिल्म ने बॉलिवुड में दिलीप कुमार को हिट फिल्मों के स्टार की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया.
1949 में फिल्म “अंदाज” में दिलीप कुमार ने पहली बार राजकपूर के साथ काम किया. यह फिल्म एक हिट साबित हुई. दीदार(1951) और देवदास(1955) जैसी फिल्मों में गंभीर भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा जाने लगा. मुगल-ए-आज़म (1960) में उन्होंने मुगल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई.
उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में क्रांति(1981), विधाता(1982), दुनिया(1984), कर्मा(1986), इज्जतदार(1990) और सौदागर(1991) शामिल हैं. 1998 में बनी फिल्म “किला” उनकी आखिरी फिल्म थी.
मधुबाला से प्रेम
बॉलिवुड में अपनी फिल्मों से भी ज्यादा दिलीप कुमार ऑफ स्क्रीन लव अफेयर के लिए भी चर्चा में रहते थे. दिलीप कुमार की प्रेमिकाओं में पहला नाम मधुबाला का आता है. मधुबाला के साथ भी दिलीप साहब ने चार फिल्मों में काम किया. इसमें संगदिल, अमर, तराना, और मुगल-ए-आजम थी. दिलीप कुमार और मधुबाला के प्यार के अफसाने उस दौर में बहुत ही चर्चा में रहते थे. लेकिन मधुबाला के परिवार की वजह से यह प्यार परवान नहीं चढ़ पाया.
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