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Dussehra in India
आज जब हम हर तरफ झुठ और पाप की एक मायावी दुनिया को देखते हैं तो हमें भगवान राम की याद आती. मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम ने जिस तरह इस दुनिया से पाप और असत्य का खात्मा किया था वह साफ दर्शाता है कि अगर एक आम इंसान भी मन में कुछ करने की ठान ले तो वह बहुत कुछ कर सकता है. नवरात्र के नौ दिनों में मां भगवती की अराधना के बाद दसवें दिन विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है. विजयदशमी को “दशहरे” के नाम से भी जाना जाता है जो भगवान श्रीराम द्वारा रावण का वध किए जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
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दशहरे का महत्व
सभी पर्वो में दशहरा का त्योहार का एक अलग महत्व है. यह त्योहार आपसी भाईचारा के साथ ही लोगों को आर्थिक सम्पन्नता से भी जोड़ता है.
दशहरा महापर्व के नाम से ही इसका आध्यात्मिक व सामाजिक स्वरूप स्पष्ट हो जाता है. त्रेता युग में आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्र में शक्ति-पूजा का अनुष्ठान संपन्न करने के पश्चात श्रीरामचंद्र ने आश्विन शुक्ल दशमी के दिन रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए अपनी वानर-सेना के साथ लंका की तरफ प्रस्थान किया था.
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हनुमन्नाटक (7-2) में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है-
अथ विजयदशम्यामाश्रि्वने शुक्लपक्षे
दशमुखनिधनाय प्रस्थितो रामचंद्र:.
द्विरदविधुमहाब्जैर्यूथनाथैस्तथाऽन्यै:
कपिभिरपरिमाणैव्र्याप्तभूदिक्खचक्रै:॥
‘आश्विन मास के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को दसमुखी रावण के वध हेतु श्रीरामचंद्रजी ने प्रस्थान किया. उनके साथ द्विरद, विधु, महाब्ज नाम के सेनापति तथा संपूर्ण पृथ्वी, चारों दिशाओं एवं गगन पर छा जाने वाली असंख्य कपि-सेना थी.’ इन पंक्तियों पर ध्यान देने से एक बात बिल्कुल साफ हो जाती है कि भगवान श्रीराम ने इसी दिन लंका पर चढ़ाई की थी, जिसके परिणामस्वरूप अजेय रावण पर विजय प्राप्त हुई.
कैसे करें पूजन
विजयदशमी के दिन भगवान श्री राम की पूजा करने का विशेष विधान है. इस दिन सबसे पहले सभी कार्यों से निवृत्त होकर आटे या हल्दी से भगवान श्रीराम का चित्र बनाएं. आटे या गाय के गोबर की 10 लोई बनाकर इसमें नवरात्र में बोये नोरते (जौ) गाड़ दें. चूंकि रावण के 10 सिर 10 महाविद्याओं के प्रतीक हैं, इसलिए यह विधान है. शाम साढ़े पांच से साढ़े सात के मध्य जय और विजय देवी का पूजन करें. एक थाली में “जय विजय” लिखकर प्रार्थना करें.
दुर्गा पूजा: विजयदशमी को देश के हर हिस्से में मनाया जाता है. बंगाल में इसे नारी शक्ति की उपासना और माता दुर्गा की पूजा अर्चना के लिए श्रेष्ठ समयों में से एक माना जाता है. अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए मशहूर बंगाल में दशहरा का मतलब है दुर्गा पूजा. बंगाली लोग पांच दिनों तक माता की पूजा-अर्चना करते हैं जिसमें चार दिनों का अलग महत्व होता है. ये चार दिन पूजा के सातवें, आठवें, नौवें और दसवें दिन होते हैं जिन्हें क्रमश: सप्तमी, अष्टमी, नौवीं और दसमी के नामों से जाना जाता है. दसवें दिन प्रतिमाओं की भव्य झांकियां निकाली जाती हैं और उनका विसर्जन पवित्र गंगा में किया जाता है. गली-गली में मां दुर्गा की बड़ी-बड़ी प्रतिमाओं को राक्षस महिषासुर का वध करते हुए दिखाया जाता है.
विजयादशमी को श्रीराम के द्वारा रावण को मारे जाने के प्रसंग को हम प्रतीकात्मक रूप में हर वर्ष दोहराते हैं. लेकिन यह इस पर्व की अर्थवत्ता तभी सार्थक होगी, जब हम अपने भीतर के दुर्गुणों और बाहर की विसंगतियों के रावण को पूरी तरह समाप्त कर दें, फिर हम विजय पर्व के उल्लास को दोगुना कर सकते हैं.
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