- 1020 Posts
- 2122 Comments
संगीत आज हर इंसान के जीवन का हिस्सा बन चुका है. सोते-जागते हर समय कहीं न कहीं वह संगीत में खोया रहता है. संगीत के प्रति ऐसी लहर आजादी से पहले नहीं थी. उस समय गाने तो लिखे जाते थे लेकिन ऐसा कंठ नहीं था जो इन गानों को एक ऊंचाई दे सके. तब प्रदार्पण हुआ सुर कोकिला लता मंगेशकर का जिनके गाए गानों में आम आदमी से लेकर अपने क्षेत्र के शिखर पर बैठे हर व्यक्ति तक की भावनाओं को आवाज मिली.
लता मंगेशकर के शुरुआत के तीन वर्ष संघर्ष के थे किंतु ठीक इन्हीं वर्षों में उन्होंने नूरजहां और शमशाद बेगम जैसी बड़ी गायिकाओं सहित सभी पूर्ववर्ती स्त्री-कंठों को सीमित या पुराना सिद्ध कर डाला. कुछ ही सालों में लता की सुरीली आवाज सभी नारियों के जीवन की सभी भावनाओं और पड़ावों की आवाज बन गई, वैसा अब तक संसार में कहीं और नहीं हो पाया है.
Read: लता दी को क्यों था शादी से परहेज ?
लता मंगेशकर के साथ काम करने वाले संगीत निर्देशक अपने आप को भाग्यशाली समझते थे जिन्हें एक ही आवाज में भोलापन, कौमार्य, स्त्रीत्व तथा सही उच्चारण सहित सातों स्वर और सारे नवरस मिल गए थे. लता जी आज के भी गायकों और संगीतकारों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं.
ऐसा तो हो नहीं सकता कि लता जी का गाया कोई गाना आपका अपना गाना न हो. कहीं कोई धुन, कहीं कोई बोल और कहीं कोई पूरा गाना ही जीवन की पगथली में कांटे की तरह चुभ कर असर कर जाता है. पचास साल में लता ने अलग-अलग परिस्थितियों में और इतनी भाषाओं में इतने गीत गाए हैं कि शायद ही कोई इंसान होगा जिसके निजी जीवन को उनके स्वर ने छुआ न हो.
आज भी जब लता जी के गाए ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को सुनने का मौका मिलता है तो शरीर का रोम-रोम रोमांचित हो उठता है. यह गीत 1962 में चीन से पराजय के बाद लिखा गया था. इस गाने पर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आंसू छलक आए थे.
उनके गीत आज भी लाखों की तादाद में बिकते हैं. खरीदने वालों में 80 साल के बुजुर्ग भी होते हैं और 18 साल के युवा भी. आज इंटरनेट ने उनके गाए हजारों गानों को, जिनमें से कई नायाब हैं, भूमंडलीय बना दिया है.
Read Comments