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बारहवफात (ईद ए मिलाद)

Special Days
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हर धर्म अपने आप में महान और समृद्ध होता है. हर धर्म की अपनी विशेषताएं और गुण होते हैं. हर धर्म अपने मानकों और परंपराओं पर चलता है. हिंदू धर्म की तरह ही मुस्लिम धर्म में भी त्यौहार ही उनकी परंपरा के वाहक है. आज मुस्लिम धर्म का एक बेहद अहम पर्व बारहवफात है.


तो चलिए जानते हैं इस पर्व के बारे में कुछ विशेष बातें:


EID I MILADबारहवफात

इस दिन मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था. इसे बारह रवी उल अव्वल के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है तथा रात में मस्जिदों को रोशन कर मुहम्मद साहब का जन्मदिन मनाया जाता है. इस दिन झांकियां भी निकाली जाती हैं.


बारहवफात मुसलमानों को धर्म की शिक्षा देता है. 13 अप्रैल, 570 ई0 में मक्का के कुरैत कबीले में पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था. जन्म के समय से ही इनके परिवारीजनों में खुशी का माहौल रहा. 610 ई0 में इन्हें दीपज्ञान की प्राप्ति हुई. 12 वर्ष बाद ईश्वर की ओर से इनको पैगाम मिला कि अपने मार्ग से भटक रहे मक्का के लोगों को धर्म की शिक्षा दो. इसके चलते उनको मक्का से निकाल दिया गया. मक्का से निकलने के बाद 400 किमी पैदल चलकर वे मदीना पहुंचे. वहीं से हिजरी संवत का प्रारंभ हुआ. इस समय 1332 हिजरी संवत चल रहा है. मोहम्मद साहब ने मुसलमानों को धर्म का पाठ पढ़ाया जिस पर मुसलमानों को चलने की प्रेरणा दी. उन्होंने इस्लाम के पांच सिद्धांत रोजा, नमाज, जकात, तौहीद, हज की यात्रा बताया.

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