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गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi)में कहा जाता है कि अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया, बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया इसलिए हर कार्य को शुरू करने से पहले गणेश जी (Ganesh Ji)का नाम लिया जाता है. गणेश जी (Ganesh Ji)का हर रूप बड़ा ही सुन्दर और प्यारा होता है. गणेश जी (Ganesh Ji)के बाल रूप में समझदारी के कारण ही गणेश जी (Ganesh Ji)को दुख हरता, पालन करता कहा जाता है.
जो भी व्यक्ति गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi)को पूरे विश्वास के साथ पढ़ता है वो हर दुख से दूर हो जाता है और उसे वरदान में गणेश जी (Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi)निरोगी-काया का वरदान देते हैं.
श्री गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी .
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
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