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भगवान कृष्ण ने महाभारत के दौरान एक बार कहा था कि जब-जब इस धरती पर पाप बढ़ेगा और धर्म का विनाश होगा तब-तब मैं विभिन्न रुपों में इस संसार में प्रकट होऊंगा. कुछ ऐसा ही मत ईसाई धर्म का भी है जिसमें समय-समय पर विभिन्न रुपों में गॉड ने धरती पर जन्म लेकर सबको सदाचार और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने की ताकत दी.
इसी तरह से ईसाई धर्म में भगवान यीशु का विशेष स्थान है जिन्होंने एक चरवाहे के घर जन्म लेकर संसार को इंसानियत और धर्म पर चलने का रास्ता दिखाया. भगवान यीशु ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर ईसाई धर्म को विश्व भर में लोकप्रिय बनाया. ईसा मसीह ईसाई धर्म के प्रवर्तक माने जाते हैं. ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई त्रिमूर्ति का तृतीय सदस्य मानते हैं. ईसा की जीवनी और उपदेश बाइबिल में दिये गए हैं .
ईसा मसीह मानवता के रक्षक थे. उनका सुविचार था कि कभी क्रोध मत करो, सत्य बोलो, आदि और सबसे अहम था कि इंसान को खुद को उस परमात्मा का पुत्र मानना चाहिए. ईसा मसीह ने अपना सारा जीवन मानवता के लिए बलिदान कर दिया. अपने जीवन में सभी अच्छे कर्म करने के बाद भी ईसा मसीह को कई लोगों का विरोध झेलना पड़ा और अंत में एक षड़यंत्र के तहत उन्हें पकड़ कर सूली पर टांग अत्यंत क्रूर मौत दी गई.
ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार जिस दिन ईसा मसीह ने प्राण त्यागे थे उस दिन शुक्रवार था और इसी की याद में गुड फ्राइडे मनाया जाता है. लेकिन अपनी मौत के तीन दिन बाद ईसा मसीह पुन: जीवित हो उठे थे और उस दिन रविवार था. इस दिन को ईस्टर सण्डे कहते हैं. गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं.
ईसा मसीह की मृत्यु : मानवता का भयानाक चेहरा
यहूदियों के कट्टरपन्थी रब्बियों (धर्मगुरुओं) ने ईसा का भारी विरोध किया. उन्हें ईसा में मसीहा जैसा कुछ ख़ास नहीं लगा. उन्हें अपने कर्मकाण्डों से प्रेम था. ख़ुद को ईश्वरपुत्र बताना उनके लिये भारी पाप था. इसलिये उन्होंने उस वक़्त के रोमन गवर्नर पिलातुस को इसकी शिकायत कर दी. रोमनों को हमेशा यहूदी क्रान्ति का डर रहता था . इसलिये कट्टरपन्थियों को प्रसन्न करने के लिये पिलातुस ने ईसा को क्रूस (सलीब) पर मृत्युदण्ड की दर्दनाक सज़ा सुनाई. ईसाइयों का मानना है कि क्रूस पर मरते समय ईसा मसीह ने सभी इंसानों के पाप स्वयं पर ले लिये थे और इसलिये जो भी ईसा में विश्वास करेगा, उसे ही स्वर्ग मिलेगा. मृत्यु के तीन दिन बाद ईसा वापिस जी उठे और 40 दिन बाद सीधे स्वर्ग चले गये. ईसा के 12 शिष्यों ने उनके नये धर्म को सभी जगह फैलाया. यही धर्म ईसाई धर्म कहलाया .
गुड फ्राइडे को ईसाई लोग चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं. ईसा मसीह को याद करते हैं और भगवान ईसा मसीह के प्रतीक क्रॉस को चूमकर भगवान को याद करते हैं. क्रूस पर भगवान ईसा को टांग दिया गया था जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी यह पश्चिमी देशों में दंड देने का एक तरीका होता था.
भगवान ईसा ने हमें मानवता को सबसे श्रेष्ट धर्म मानने की शिक्षा दी है. उनके अनुसार मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है. लेकिन आज के समय में कुछ लोग ईसाई धर्म का गलत तरीके से प्रचार करते हैं, वह गरीबों और असहायों का धर्म परिवर्तन कराते हैं जो कि ईसा की शिक्षा के विपरीत है. भगवान ईसा ने हम सबको परमात्मा का पुत्र माना है फिर हम चाहे किसी भी धर्म या जाति के हों बस दिल में परमात्मा का ख्याल होना चाहिए और मानवता के प्रति सद्भावना होनी चाहिए.
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