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गुलजार : गीतों का जादूगर

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अगर हिन्दी सिनेमा जगत में किशोर कुमार के बाद किसी को संगीत और गाने के साथ विभिन्न और सफल प्रयोग करने के लिए जाना जाता है तो वह हैं कवि गुलजार. अपनी कलम से गुलजार ने ना जानें कितनी फिल्मों के संवाद, गीत, कहानी और पटकथा लिखी है. कई फिल्मफेयर अवार्ड जीत चुके गुलजार ने हिन्दी सिनेमा को हमेशा ही अपने गीतों और लेखों से गुलजार किया है. पाकिस्तान में जन्में इस कलाकार ने सरहद की दीवार तोड़कर दो देशों के बीच अपनी कलम से कई बार तार जोड़ने की भी कोशिश की है.


गुलजार ने न सिर्फ गीतकार के रूप में, बल्कि लेखक, निर्माता और निर्देशक के रूप में बॉलीवुड में अपना विशेष योगदान दिया है. गुलजार की तारीफ में जो भी कहा जाए कम है. चाहे युवा पीढ़ी हो या बुजुर्ग सबको गुलजार ने अपना दीवाना बनाया है. कभी फिल्म “गोलमाल” के गीतों से लोगों को हंसाने वाले गुलजार ने युवा पीढ़ी को फिल्म “इश्किया” के गाने भी दिए हैं. बॉलिवुड में गुलजार ने एक ऐसी जगह बना ली है जिसे भर पाना नामुमकिन है. हमेशा सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखने वाले गुलजार का आज जन्मदिन है.


gulzarगुलजार का शुरुआती जीवन

गुलजार का जन्म पाकिस्तान के झेलम जिले के दीना गांव में 18 अगस्त, 1936 को हुआ था. उनके बचपन का नाम संपूरण सिंह कालरा था. बचपन से ही उन्हें शेरो-शायरी और लेखन का शौक था.


साल 1947 में विभाजन के बाद उनका परिवार अमृतसर चला आया और यहीं से शुरुआत हुई गुलजार के सपनों की उड़ान. अपने सपने पूरे करने वह मायानगरी पहुंचे. शुरुआती दिनों में उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा और जिंदगी की गाड़ी चलाने के लिए मोटर गैराज में एक मैकेनिक की नौकरी भी करनी पड़ी.


Gulzar-Rakheeगुलजार का कॅरियर

प्रोग्रेसिव रायटर्स एसोसिएशन (पीडब्ल्यूए) से जुड़ने के बाद गुलजार को अपने सपने पूरे होते दिखे. गुलजार सिख थे और विभाजन के बाद वे दिल्ली में रहे और यहीं पढ़ाई की. शायरी में उन्हें छात्र जीवन से ही रुचि थी. काम की तलाश में वे मुंबई आए. संयोग से उन्हें बिमल राय प्रोडक्शंस में जगह मिल गई. वे बिमल दा के असिस्टेंट बन गए. वहीं रह कर उन्होंने फिल्म बंदिनी के लिए पहला गीत लिखा, मोरा गोरा रंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे…हालांकि फिल्म ‘काबुली वाला’ बंदिनी से पहले ही प्रदर्शित हो गई, जिसमें उनके लिखे गाने ‘ऐ मेरे प्यारे वतन’ और ‘गंगा आए कहाँ से’ आज भी ऑल टाइम्स ग्रेटेस्ट सांग के रूप में याद किए जाते हैं.


इसके बाद तो जैसे गुलजार बॉलिवुड की प्रसिद्ध हस्ती बन गए. उन्होंने अपने गीतों से कई फिल्मों को सजाया. 1972 में आई फिल्म “परिचय” ने उन्हें संगीतकार आरडी बर्मन का चहेता बना दिया. इसके बाद इन दोनों की जोड़ी वाली फिल्मों के गीत-संगीत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. इन दोनों की जोड़ी वाली फिल्मों में ‘खुशबू’, ‘आँधी’, ‘किनारा’, ‘देवता’, ‘घर’, ‘गोलमाल’, ‘खूबसूरत’, ‘नमकीन’, ‘मासूम’, ‘इजाजत’ और ‘लिबास’ जैसी फिल्में शामिल हैं.


गुलजार साहब के लिखे हुए गीतों को कई गायकों ने गाया जैसे किशोर कुमार, लता मंगेसकर, आशा भोंसले, सोनू निगम, ए. आर. रहमान आदि. आज बॉलिवुड में गुलजार के लिखे गीत सफलता की पक्की मुहर माने जाते हैं.


गुलजार साहब ने अपनी कलात्मकता सिर्फ गीत लेखन तक ही सीमित नहीं रखी बल्कि उन्होंने निर्देशन में भी हाथ आजमाया. गुलजार ने वर्ष 1971 में फिल्म ‘मेरे अपने’ के जरिये निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा. यह फिल्म एक हिट साबित हुई. इसके बाद उन्होंने ‘कोशिश’ , ‘परिचय’, ‘अचानक’, ‘खुशबू’, ‘नमकीन’, ‘अंगूर’, ‘इजाजत’, ‘लिबास’, ‘माचिस’ और ‘हू तू तू’ जैसी कई कामयाब फिल्में निदेर्शित भी की. इनमें से ‘अंगूर’ और ‘माचिस’ उनके बेहतरीन निर्देशन के लिए जानी जाती हैं. निर्देशन के अलावा गुलजार ने कई फिल्मों की पटकथा और संवाद भी लिखे.


गुलजार साहब ने अभिनेत्री राखी से शादी की और आज उनकी एक बेटी मेघना गुलजार हैं. राखी और गुलजार आज साथ-साथ नहीं रहते पर दोनों ने अभी तक तलाक नहीं लिया है.


Gulzar getting padmabhushanगुलजार को मिले पुरस्कार

फिल्मफेयर अवार्ड
गुलजार को अपने रचित गीतों के लिए अब तक दस बार फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है.


  • गुलजार को सबसे पहले वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म घरौंदा के ‘दो दीवाने शहर में’ गीत के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया था.
  • फिल्म ‘गोलमाल’ के गीत ‘आने वाला पल जाने वाला है’.
  • फिल्म थोड़ी-सी बेवफाई के लिए 1980 में.
  • फिल्म “मासूम” के गीत ‘तुमसे नाराज नहीं जिंदगी’ के लिए 1983 में.
  • फिल्म ‘इजाजत’ के गीत ‘मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है’ के लिए 1988 में.
  • 1991 में फिल्म ‘लेकिन’ के गीत’ यारा सिली सिली बिरह की रात का जलना’.
  • और 1998 में फिल्म ‘दिल से’, 2003 में फिल्म ‘साथिया’, 2006 में फिल्म ‘बंटी और बबली’ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया.

नेशनल अवार्ड

गुलजार को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. इनमें वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म ‘कोशिश’ के लिए सर्वश्रेष्ठ स्क्रीन प्ले का, वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म ‘मौसम’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का और वर्ष 1987 में प्रदर्शित फिल्म ‘इजाजत’ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार भी शामिल है.


ऑस्कर अवार्ड

साल 2008 में फिल्म “स्लमडॉग मिलेनियर” के गाने “जय हो” लिए उन्हें ऑस्कर अवार्ड भी मिला है. साल 2010 में उन्हें इसी गाने के लिए ग्रैमी अवार्ड भी मिला.


पद्म भूषण

साल 2004 में राष्ट्रपति ए.पीजे अब्दुल कलाम के हाथों गुलजार साहब को पद्म भूषण मिला था.


गुलजार साहब के काम को हम उनके अवार्डों और पुरस्कारों से जोड़कर नहीं देख सकते. हिन्दी सिनेमा में उन्होंने अभूतपूर्व सहयोग दिया है. उम्मीद है गुलजार साहब इसी तरह बॉलिवुड के गीतों को गुलजार करते रहेंगे.


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