Menu
blogid : 3738 postid : 654744

हरिवंश राय बच्चन: तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला

Special Days
Special Days
  • 1020 Posts
  • 2122 Comments

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,

प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊंगा प्याला,

पहले भोग लगा लूं तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,

सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।


हरिवंश राय बच्चन की रचना “मधुशाला” से ली गई ऐसे ही पंक्तियां आज भी लोगों की जुबान पर है. दरअसल मधुशाला हिन्दी साहित्य की आत्मा का ही अंग बन गई है और कालजयी रचनाओं की श्रेणी में खड़ी हुई है. हरिवंश राय बच्चन ने इस रचना को उस समय गढ़ा था जब आयु महज 27-28 वर्ष की थी, अत: स्वाभाविक है कि ये संग्रह यौवन के रस और ज्वार से भरपूर थे.


harivansh rai bachchanहरिवंश राय बच्चन का जीवन

हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर, 1907 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक कायस्थ परिवार में हुआ. बच्चन प्रताप नारायण श्रीवास्तव और सरस्वती देवी के बड़े पुत्र थे. 1926 में 19 वर्ष की उम्र में उनका विवाह ‘श्यामा बच्चन’ से हुआ जो उस समय 14 वर्ष की थी. लेकिन 1936 में श्यामा की टी.बी के कारण मृत्यु हो गई. पांच साल बाद 1941 में बच्चन ने पंजाब की तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं. तेजी बच्चन से अमिताभ तथा अजिताभ दो पुत्र हुए. अमिताभ बच्चन एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं. तेजी बच्चन ने हरिवंश राय बच्चन द्वारा ‘शेक्सपीयर’ के अनुदित कई नाटकों में अभिनय किया है.


बच्चन नाम कैसे पड़ा

श्रीवास्तव परिवार से नाता रखने वाले हरिवंश राय को बाल्यकाल में ‘बच्चन’ कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ ‘बच्चा या संतान’ होता है. बाद में हरिवंश राय बच्चन इसी नाम से मशहूर हुए.


क्या हुआ था उस रात तलवार दंपत्ति के घर


हरिवंश राय बच्चन की शिक्षा

हरिवंश राय बच्चन की शुरुआती शिक्षा म्युनिसिपल स्कूल में हुई. इसके बाद की शिक्षा गवर्नमेंट कॉलेज, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी तथा काशी विश्वविद्यालय में हुई. हरिवंश राय बच्चन 1941 से’ 52 तक वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेज़ी के लेक्चरर रहे. इसके बाद बच्चन इंग्लैंड में रहकर उन्होंने केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की. विदेश से लौटकर उन्होंने एक वर्ष अपने पूर्व पद पर तथा कुछ मास आकाशवाणी, इलाहाबाद में काम किया. दिसम्बर, 1955 में भारत सरकार ने उन्हें विदेश मंत्रालय के हिन्दी-विशेषज्ञ के रूप में बुला लिया, जहां दस वर्ष रहकर उन्होंने हिन्दी को राजनयिक काम-काज का सक्षम माध्यम बनाया. वर्ष 1966 में राष्ट्रपति डॉ. राधाकष्णन ने बच्चन को राज-सभा का सदस्य मनोनीत कर दिया.


हरिवंश राय बच्चन बच्चन की प्रमुख रचनाएं: मधुशाला, निशानिमन्त्रण, प्रणय पत्रिका, मधुकलश, एकांतसंगीत, सतरंगिनी, मिलनयामिनी, बुद्ध और नाचघर, त्रिभंगिमा, आरती और अंगारे, जाल समेटा, आकुल अंतर तथा सूत की माला.


टीम में जगह पाना अब तो दूर की कौड़ी है


हरिवंश राय बच्चन के काव्य की विलक्षणता उनकी लोकप्रियता है. हरिवंश राय ‘बच्चन’ की कविता की लोकप्रियता का प्रधान कारण उसकी सहजता और संवेदनशील है. यह सहजता और सरल संवेदना उसकी अनुभूतिमूलक सत्यता के कारण उपलब्ध हो सकी.

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आज भी हिन्दी के ही नहीं, सारे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में हरिवंश राय बच्चन का स्थान सुरक्षित है. हरिवंशराय बच्चन की रचनाओं में उनके व्यक्तित्व और जीवन-दर्शन की झलक तो मिलती ही है, साथ ही उनकी बेबाकी शैली से भी लोगों को रुबरू होना पड़ता है.


Read more:

11 मई के बाद बदल गई अमिताभ की किस्मत

मैं भारत के रेशमी नगर में रहता हूं

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh