- 1020 Posts
- 2122 Comments
भारत में होली के त्यौहार का अलग ही महत्व है. यह उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में भिन्नता के साथ मनाया जाता है. आइए जानते हैं होली के विविध रूपों और मनाने के अलग-अलग ढंगों के बारे में:
ब्रज की होली
जब बात होली पर्व की होती है तो ब्रज की होली लोगों के लिए काफी आकर्षण का केंद्र रहती है. इसका आकर्षण न केवल मथुरा में बल्कि देश के विभिन्न भागों में यहां तक कि सात समंदर पार भी देखने को मिलता है. ब्रज के बरसाना गांव में होली अलग तरह से खेली जाती है जिसे लठमार होली कहते हैं. यह होली विश्वविख्यात है. इस होली में पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं. इसी प्रकार मथुरा और वृंदावन में भी 15 दिनों तक होली का पर्व मनाया जाता है.
धुलंडी की होली
हरियाणा के धुलंडी में होली के त्यौहार में भाभियों को इस दिन पूरी छूट रहती है कि वे अपने देवरों को साल भर सताने का दण्ड दें. भाभियां देवरों को तरह-तरह से सताती हैं और देवर बेचारे चुपचाप झेलते हैं, क्योंकि यह दिन तो भाभियों का दिन होता है. शाम को देवर अपनी प्यारी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है.
दोल जात्रा चैतन्य की होली
बंगाल की दोल जात्रा चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है. यह पर्व होली से एक दिन पहले मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं लाल किनारी वाली पारंपरिक सफ़ेद साड़ी पहन कर शंख बजाते हुए राधा-कृष्ण की पूजा करती हैं. इसमें जलूस निकलते हैं और गाना बजाना तथा कीर्तन भी साथ रहता है.
कुमाऊं की होली
उत्तराखण्ड के कुमाऊं मण्डल में होली रंगों के साथ-साथ संगीत के रागों की होली खेली जाती है. यह एक तरह की अनूठी होली है जिसे कुमाऊं की बैठकी होली भी कहते हैं. इस बैठकी में शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियां होती हैं. बैठकी होली में लोक संगीत में रची बसी है. इसकी भाषा ब्रज यह खांटी शास्त्रीय गायन है. पौष माह के पहले सप्ताह से ही तथा बसन्त पंचमी के दिन से ही गांवों में बैठकी होली का दौर शुरू हो जाता है.
महाराष्ट्र की रंग पंचमी की होली
महाराष्ट्र की रंग पंचमी में सूखा गुलाल खेलने की प्रथा है. इस दिन विशेष भोजन बनाया जाता है जिसमें पूरनपोली अवश्य होती है. यह होली मछुआरों की बस्ती में अधिकतर खेली जाती है जहां नाच, गाना और मौज-मस्ती भी बहुत होती है.
शिमगो की मस्ती
जब बात मौज-मस्ती की होती है गोवा के लोग इस मामले में पीछे नहीं रहते. यहां की स्थानीय कोंकणी भाषा में होली को शिमगो कहा जाता है. बसंत ऋतु आने के साथ गोवा में होली का उल्लास सभी के चेहरों पर नजर आता है. यहां भी रंग के साथ शिमगो की मस्ती में बच्चे में देखी जा सकती है. यहां होली के अवसर पर जुलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन करने की प्रथा है.
होला मोहल्ला में होली
सिखों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनन्दपुर साहिब मे होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते है. तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में सिखों द्वारा शक्ति प्रदर्शन और वीरता के करतब दिखाए जाते हैं.
पति की मौत की खबर इन्हें सुकून पहुंचाती है
कामदेव को समर्पित होली
तमिलनाडु की कमन पोडिगई मुख्य रूप से कामदेव की कथा पर आधारित वसंतोत्सव है. प्राचीन काल मे देवी सती (भगवान शंकर की पत्नी) की मृत्यु के बाद शिव काफी क्रोधित और व्यथित हो गये थे. इसके साथ ही वे ध्यान मुद्रा में प्रवेश कर गये थे. उधर पर्वत सम्राट की पुत्री भी शंकर भगवान से विवाह करने के लिये तपस्या कर रही थी.
मणिपुर की होली
मणिपुर के याओसांग में योंगसांग उस नन्हीं झोंपड़ी का नाम है जो पूर्णिमा के दिन प्रत्येक नगर-ग्राम में नदी अथवा सरोवर के तट पर बनाई जाती है.
गुजरात की होली
दक्षिणी गुजरात के धरमपुर एवं कपराडा क्षेत्रों में कुंकणा, वारली, धोड़िया, नायका आदि आदिवासियों द्वारा होली के दिन खाने, पीने और नाचने (खावला, पीवला और नाचुला) का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. ये आदिवासी जीवन के दुःख, दर्द और दुश्मनी को भूलकर गीत गाकर होली के त्योहार को मनाते हैं.
अन्य राज्यों में छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है जबकि मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है भगोरिया, जो होली का ही एक रूप है. वहीं बिहार का फगुआ एक अलग तरह का मौज मस्ती करने का पर्व है. इस दिन फगुआ के गीतों पर जम कर डांस की जाती है और होली के रंगों का आनंद उठाया जाता है.
Read more:
खाये गोरी का यार बलम तरसे रंग बरसे
Read Comments