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आज वर्गीज़ कुरियन का जन्मदिन है. श्वेत क्रांति के जनक के रूप में मशहूर कुरियन ने अमूल की शुरूआत कर न सिर्फ भारत को आत्मनिर्भर बनाया अपितु विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक भी बना दिया. अमूल ने सहकारिता के द्वारा गरीबी दूर करने का एक सफल सूत्र निकाला और उसे आजमाकर दुनिया को दिखा भी दिया. कई दूध संघ उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय दूध दिवस के रूप में मनाते हैं. तो आइए, आज के दिन जानते हैं कि ‘ऑपरेशन फ्लड’ के सेनापति के जीवन की कुछ विशेष बातों को….
वर्गीज़ कुरियन का जन्म केरल के कोझ़िकोड में हुआ था. मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए उन्हें स्कॉलरशिप दी गई. स्कॉलरशिप की शर्तों के कारण उन्हें गुजरात के बदहाल हो चुके ‘आनंद’ में मजबूरी में काम करना पड़ा.
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कहा जाता है कि एक बार कृषि मंत्री की नज़र उन पर टेढ़ी हुई. उस मंत्री ने उन्हें राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के निदेशक के पद से हटाने की जोरदार कोशिश की जिसके संस्थापक सदस्यों में से कुरियन एक थे. लेकिन हुआ इसके विपरीत. मंत्री को ‘डोंट टच कुरियन’ की चेतावनी देते हुए बर्खास्त कर दिया गया.
‘अमूल’ के सफल ब्रांड बनने के बाद भी उन्होंने ‘आनंद’ नहीं छोड़ा. वहाँ उनका सम्मान राजा की तरह किया जाता था. इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट में उनके छात्र घास पर बैठकर उनसे ग्राम प्रबंधन के गुर सीखते थे. वो साधारण घर में रहते थे. उनके कीमती सामानों में एक तस्वीर थी जो तब खींची गई थी जब हिलेरी और तेनजिंग एवरेस्ट पर चढ़े थे.
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वर्गीज़ कुरियन और श्याम बेनेगल ने मिलकर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म मंथन की कहानी भी लिखी है जिसे करीब 5 लाख किसानों ने वित्तीय सहायता दी. विश्व बैंक ने गरीबी उन्मूलन के लिए अमूल मॉडल को चिन्हित किया है. अमूल मॉडल को व्यापक और लोकप्रिय बनाने में वर्गीज़ की बड़ी भूमिका रही है. ‘अमूल’ के महत्तव का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वयं जवाहर लाल नेहरू इसके उद्घाटन के अवसर पर आए थे. Next……
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