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महात्मा गांधी: कभी बोलते समय गांधी जी की टांगें कांप गई थीं

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mahatma gandhi 1महात्मा गांधी का नाम आते ही मन में गांधीवादी विचारों की पुस्तक खुल जाती है. लेकिन गांधी जयंती के अवसर पर आज हम आपको उनके विचारों और सिद्धांतों से रुबरू कराने नहीं जा रहे हैं. बल्कि उनके जीवन से जुड़े कुछ अनछुए तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे जिसे आपने कभी नहीं सुना होगा.


1. गांधीजी के पास कृत्रिम दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था. जब उन्हें भोजन करना होता था, तभी उसका उपयोग करते थे. भोजन करने के बाद उन्हें अच्छी तरह से धोकर, सुखाकर अपनी लंगोटी में लपेट कर रखते थे.


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2. शुरुआती दिनों में गांधीजी को अंग्रेजी पढ़ाने वाले अध्यापकों में से एक आयरिश व्यक्ति था जिसकी वजह से वह आयरिश उच्चारण वाली अंग्रेजी बोलते थे.


3. लंदन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करके महात्मा गांधी अटार्नी बने थे लेकिन कोर्ट में पहली बार जब उन्हें बोलने का मौका मिला तो उस दौरान उनकी टांगें कांप गई थीं.


4. लंदन में उनकी वकालत बहुत ज्यादा नहीं चली. बाद में वे अफ्रीका चले गए. वहां उन्हें बड़ी संख्या में मुवक्किलों का मिलना शुरू हुआ. गांधीजी अपने कई मुवक्किलों के मामलों को अदालत से बाहर ही शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा देते थे.


5. दक्षिण अफ्रीका में वकालत के दौरान उनकी सालाना आय 15 हजार डॉलर तक पहुंच गई थी. उस समय यह आय बहुत ही बड़ी थी.


6. महात्मा गांधी सैद्धांतिक रूप से फल, बकरी के दूध और जैतून के तेल पर जीवन निर्वाह करने लगे.


7. सविनय अवज्ञा की प्रेरणा उन्हें अमेरिकी व्यक्ति की एक किताब से मिली. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट डेविड थोरियू नामक यह व्यक्ति मैसाचुसेट्स में एक संन्यासी की तरह जीवन बिताता था.


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8. महात्मा गांधी कभी अमेरिका नहीं गए, लेकिन वहां उनके कई प्रशंसक और अनुयायी बन गए थे. इन्हीं में से एक उनके असाधारण प्रशंसक प्रसिद्ध उद्योगपति और फोर्ड मोटर के संस्थापक हेनरी फोर्ड भी थे.


9. अपने अहिंसा और सविनय अवज्ञा जैसे सिद्धांतों से राष्ट्रपिता ने दुनिया के लाखों लोगों को प्रेरित किया. उसमे मार्टिन लूथर किंग जूनियर (अमेरिका), दलाईलामा (तिब्बत), आंग सान सू की (म्यांमार), नेल्सन मंडेला (दक्षिण अफ्रीका) शामिल हैं.


10. प्रसिद्ध पत्रिका ‘टाइम’ ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को तीन बार अपने कवर पेज पर स्थान दिया है.


11. महान भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधीजी के बारे में एक बार कहा था, ‘हमारी आने वाली पीढ़ियां शायद ही यकीन कर पाएं कि कभी हांड़-मांस का ऐसा इंसान (गांधीजी) इस धरती पर मौजूद था.


12. संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.


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