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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की भारी पराजय के बाद पार्टी के भीतर और बाहर गांधी परिवार की भूमिका पर लगातार आवाज उठाए जाने लगे हैं. भले ही दबे स्वर में, लेकिन चुनाव में हार के लिए जिम्मेदार गांधी परिवार को माना जा रहा है. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या आने वाले वक्त में कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार से मुक्त हो जाएगी. उससे भी बड़ा सवाल है कि ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी का क्या होगा?
राहुल गांधी का पूरा जीवन ही असमंजस से भरा हुआ है. वह एक पहेली की तरह हैं जिसे हर कोई समझना तो चाहता है लेकिन उनकी नादानियां कुछ समझने नहीं देतीं.
आइए आज उनके जीवन के कुछ ऐसे पहलुओं को कुरेदने की कोशिश करते हैं जिससे शायद आप अंजान हों:
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1. वह दौर किसी भी व्यक्ति के लिए दर्दनाक होता है जब उसके पिता की मृत्यु अचानक हो जाए. राहुल गांधी के लिए यह दर्द तो दोहरा रहा. छोटी सी उम्र में तो उन्होंने पहले दादी को खोया और फिर अपने पिता को. उस दौरान उन्हें समान्य जीवन जीने में मुश्किलात होती थी. राहुल गांधी का पूरा बचपन मृत्यु के भय और विशेष सुरक्षा के बीच गुजरा.
2. जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई उस दौरान राहुल गांधी देहरादून के दून स्कूल में पढ़ते थे. हत्या के बाद सुरक्षा कारणों की वजह से उन्हें घर वापस बुला लिया गया. उनकी शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई.
3. स्नातक के लिए उन्होंने 1989 में दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन एक साल कंप्लीट करने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी चले गए. उन दौरान भी उन्हें सुरक्षा को लेकर समस्या हो रही थी. कहा जाता है कि जब वह कॉलेज जाते थे उस दौरान उनके साथ कई सुरक्षाकर्मी भी होते थे. यह चीज देख वह खुद में असहज महसूस करते थे.
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4. पिता की हत्या के बाद सुरक्षा कारणों की वजह से राहुल अमरीका में छद्म नाम राउल विंसी के नाम से पहचाने जाते थे. सिर्फ यूनिवर्सिटी प्रशासन और सुरक्षा अधिकारियों को उनके असली नाम की जानकारी थी.
5. स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह लंदन में ही एक प्रशासनिक फर्म के साथ जुड़ गए.
6. भारत आने के बाद वर्ष 2002 में राहुल गांधी मुंबई स्थित एक प्रौद्योगिकी आउटसोर्सिंग फर्म के निदेशक भी रह चुके हैं.
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7. कुछ साल तक कंपनी में काम करने के बाद राहुल ने 2004 में गांधी परिवार की विरासत को चुना. उन्होंने उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया.
8. गांधी परिवार से नाता होने की वजह से राहुल बहुत ही जल्द पार्टी का चेहरा बन गए. वह पार्टी के सबसे बड़े युवा नेता के रूप में उभरे.
9. इस बीच राहुल की नाकामियां भी पार्टी की सफलता के साथ चलती रहीं. उस दौरान पार्टी अच्छा नहीं तो बुरा भी नहीं कर रही थी, लेकिन जब 2014 का परिणाम आया तब सभी को लगने लगा कि राहुल पार्टी का नेतृत्व करने वाले (राहुल गांधी) कोई करिश्माई नेता नहीं हैं.
10. वैसे राहुल गांधी का नाम केवल राजनीति में ही नहीं लिया जाता. सलमान खान के बाद वह देश के दूसरे ऐसे बैचलर हैं जिनके दूल्हा बनने का इंतजार हर किसी को है.
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