- 1020 Posts
- 2122 Comments
दोस्त जीवन का वह अभिन्न हिस्सा होते हैं, जो आपको हर हाल में खुश देखना चाहते हैं. दोस्त आपकी सफलता पर खुश होने के साथ-साथ, गलती करने पर आपको डांटने से भी पीछे नहीं हटते. दोस्ती जैसा भावनत्मक और मजबूत रिश्ता आपको किसी भी दूसरे रिश्ते की कड़वाहट से उबार सकता है. कोई भी मुश्किल आए वह ढाल बन कर आपके सामने खड़े हो जाते हैं. व्यक्ति के जीवन में दोस्तों की अहमियत को समझते हुए और दोस्तों के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने के उद्देश्य से अमेरिकी कॉग्रेस ने सन 1935 में फ्रेंडशिप डे मनाने की घोषणा कर दी थी.
अमेरिकी कॉग्रेस के इस घोषणा के बाद हर राष्ट्र में अलग-अलग दिन फ्रेंडशिप डे मनाया जाने लगा. भारत में यह हर वर्ष अगस्त माह के पहले रविवार को मनाया जाता है. लेकिन इस वर्ष अर्थात सन 2011 से संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिन को एकरूपता देने और पहले से अधिक हर्षोल्लास से मनाने के उद्देश्य से 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे घोषित कर दिया है.
भले ही फ्रेंडशिप डे की अवधारणा काफी पुरानी हो लेकिन भारत में इसका प्रचलन केवल कुछ वर्ष पूर्व ही शुरु हुआ है. यद्यपि दोस्त और दोस्ती पहले भी उतने ही जरूरी थे, जितने की अब. लेकिन उस समय वैयक्तिक जीवन शैली इतनी अधिक जटिल और व्यस्त नहीं थी कि उसे अपने संबंधों को एक दिन में ही समेटना पड़े. प्रतियोगिता के इस दौर में हर कोई अपनी व्यस्तता और काम में इतना उलझा हुआ है कि उसे अपने संबंधियों और दोस्तों को थोड़ा सा समय भी देना दूभर प्रतीत होता है, ऐसे में फ्रेंडशिप डे जैसे दिनों की अहमियत अत्याधिक बढ़ जाती है. औपचारिक तौर पर ही सही कम से कम हम उन व्यक्तियों के लिए समय तो निकाल पाते हैं जिनका हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है.
भारत में फ्रेंडशिप डे का स्वरूप बहुत विस्तृत है. हमारे युवा इसे सादगी से मनाना पसंद नहीं करते. वे एक-दूसरे को फ्रेंडशिप बैंड बांधकर अपना प्रेम और पारस्परिक भावनाएं तो जाहिर करते ही हैं साथ ही घूमना-फिरना और पार्टी करना भी फ्रेंडशिप डे की एक विशिष्ट पहचान बन चुकी है.
लेकिन हमारे देश में कई वर्ग ऐसे हैं जो लड़के और लडकी के बीच दोस्ती को जायज नहीं ठहराते. चाहे फिर वह सिर्फ दोस्त ही क्यों ना हों, उन्हें घृणित दृष्टि से देखने लगते हैं. यह वर्ग हर उस चीज़ का पुरज़ोर विरोध करता है जो किसी भी युवक और युवती के बीच नजदीकी बढ़ाने में सहायक हों. ऐसे में वह फ्रेंडशिप जैसे पवित्र दिन का भारत में मनाया जाना सही नहीं मानता.
हमें इस बात को समझना चाहिए कि दोस्तों के प्रति आपका कर्तव्य केवल हाथ में फ्रेंडशिप बैंड बांधकर ही पूरा नहीं हो जाता और ना ही आप महंगे तोहफे देकर एक-दूसरे की भावनाओं का मोल लगा सकते हैं. दोस्ती एक पवित्र और सम्माननीय संबंध है. दोस्ती को निभाने के लिए एक-दूसरे के प्रति विश्वास और मान का होना बेहद आवश्यक है. दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हम स्वयं अपनी समझ से बनाते हैं. इसकी स्थिरता और सफलता के लिए जरूरी है कि प्रेम, विश्वास और भावनाओं के मजबूत आधार पर टिका यह रिश्ता कभी ईर्ष्या या द्वेष जैसी भावनाओं को अपने भीतर ना पनपने दे.
Read Comments