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कहते हैं आवाज में दर्द और शब्दों में जज्बात तब तक नहीं आते जब तक आपके दिल में भावनाओं का शैलाब ना हो. इस बात से शायद गजल की दुनिया के जादूगर जगजीत सिंह अच्छी तरह वाकिफ थे. अपनी आवाज से करोड़ो दिलों को नई जवानी प्रदान करने वाले जगजीत सिंह की खुद की जिंदगी भी बेहद अजीबो गरीब थी जिसमें दर्द, प्यार और कड़वाहट सभी का मेल था. आज 8 फरवरी को स्वर्गीय जगजीत सिंह की जयंती पर चलिए जानें आखिर कैसे इस महान शायर की आवाज में कसक पैदा हुई ?
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First Love in Jagjit Singh Life– पहला प्यार
जगजीत सिंह के गीतों में अकसर पहले प्यार का चित्रण संजीदगी के साथ होता था. ऐसा इसलिए क्यूंकि खुद जगजीत सिंह की जिंदगी का पहला प्यार बहुत खूबसूरत था. जगजीत सिंह जब कॉलेज के दिनों में पढ़ते थे तब उनकी एक प्रेमिका हुआ करती थीं. वह अपनी प्रेमिका को देखने के लिए जालंधर में उसके घर के सामने अपनी साइकिल से गुजरा करते थे. बहुतों की तरह जगजीत जी का पहला प्यार भी परवान नहीं चढ़ सका. वह लड़की के घर के सामने साइकिल की चेन टूटने या हवा निकलने का बहाना कर बैठ जाते और उसे देखा करते थे. बाद में यही सिलसिला बाइक के साथ जारी रहा.
Pain in Jagjit Singh Life– दर्द भी बड़ा था शायर की जिंदगी में
प्यार के अलावा जगजीत सिंह को जिंदगी ने जो दिया वह था दर्द. उनके कई करीबी मानते हैं कि उनके नगमों में जो दर्द था वह असल में उनकी जिंदगी का ही गम था. जगजीत सिंह-चित्रा सिंह की शादी वर्ष 1970 में हुई थी. जगजीत सिंह-चित्रा सिंह के इकलौते बेटे विवेक का वर्ष 1990 में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था. इसके बाद जगजीत सिंह कई महीनों तक नहीं गाए थे और उनकी पत्नी चित्रा ने तो गाना ही बंद कर दिया. चित्रा दो साल पहले अपनी बेटी को भी खो चुकी हैं. उनकी पहली शादी से जन्मी मोनिका ने बांद्रा के अपने फ्लैट में खुदकुशी कर ली थी. बेटी की मौत की वजह से जगजीत सिंह भी अवसाद में चले गए थे.
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कड़वाहट से भी हुआ सामना
बेहद शांत और शालीन दिखने वाले जगजीत साहब को लोगों ने बहुत कम किसी आलोचना या विवाद का सामना होते देखा था. जगजीत साहब को मोहम्मद रफी का आलोचक माना जाता था. रफी साहब की आलोचना के साथ एक समय जगजीत सिंह को पाकिस्तानी गायकों का भी आलोचक माना जाता था. भारत-पाक कारगिल लड़ाई (Indo-Pak War) के दौरान उन्होंने पाकिस्तान से आ रही गायकों की भीड़ पर एतराज किया. तब जगजीत सिंह जी का कहना था कि उनके आने पर बैन लगा देना चाहिए. दरअसल, जगजीत जी को पाकिस्तान ने वीज़ा देने से इंकार कर दिया था. लेकिन जब पाकिस्तान से बुलावा आया तब जगजीत सिंह जी की नाराज़गी दूर हो गई. यह भी कोई नहीं भूल सकता कि जगजीत सिंह ने मेहदी हसन के इलाज के लिए तीन लाख रुपए की मदद की. यह उन दिनों की बात थी जब मेहदी हसन साहब को पाकिस्तान की सरकार तक ने नजरअंदाज़ कर रखा था.
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Jagjit Singh Songs– जगजीत सिंह के गीत
गजलों के माध्यम से लोगों के दिलों के तार छेड़ने वाले जगजीत सिंह के अमूमन हर गीत के लोग दीवाने हो जाते थे लेकिन फिर भी कुछ गीत लोगों को बरसों तक याद रहेंगे. उनकी होठों से छू लो तुम (प्रेमगीत), तुमको देखा तो ये ख्याल आया (साथ साथ), झुकी झुकी सी नजर (अर्थ), होश वालों को खबर क्या (सरफरोश) और बड़ी नाजुक है (जॉगर्स पार्क) जैसी फिल्मी गजलों ने उनकी मौजूदगी को और भी मजबूत बनाया.
फिल्मी गानों में फिल्म ‘प्रेमगीत’ का ‘होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो’, फिल्म ‘खलनायक’ का ‘ओ मां तुझे सलाम’, संजय दत्त और काजोल अभिनीत फिल्म ‘दुश्मन’ का ‘चिट्ठी ना कोई संदेश’ और ‘सरफ़रोश’ का ‘होशवालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है’ जैसे कई गीतों को उन्होंने अपनी आवाज दी. फिल्म “तेरे बिन” में भी अधिकतर गानों को अपनी आवाज देकर उन्होंने संगीतप्रेमियों को नया खजाना दिया.
लाखों-करोड़ों श्रोताओं को अपनी आवाज से सुकून देने वाले जगजीत सिंह की मस्तिष्काघात (ब्रेन हैमरेज) के बाद 23 सितंबर, 2011 की शाम को शल्य चिकित्सा हुई थी और उसी समय से वह गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में थे. लोगों को उम्मीद थी कि वह जल्द ठीक हो कर एक बार फिर अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे लेकिन ऐसा हो ना सका.
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