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Krishna Janmashtami Pooja Vidhi in Hindi
यमुना के तीरे रास रचाया,
कान्हा हर गोपी मन भाया
इस सृष्टि में इंसान चाहे कितना भी आगे निकल जाए, चांद सितारों के रहस्य जान ले लेकिन उसका विश्वास भगवान से कभी नहीं उठ सकता. इस संसार में यूं तो भगवान के होने का कोई प्रत्यक्ष साक्षी नहीं है लेकिन इंसान की आस्था में भगवान कभी ना अलग होने वाला तत्व है. इसी आस्था को इंसान भगवान के अलग-अलग रूपों में पूजता है. इसी आस्था की एक अनुपम छटा देखने को मिलती है जन्माष्टमी में.
Janmashtami 2012: जन्माष्टमी: एक नजर
जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है. हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण का जन्म, मथुरा के असुर राजा कंस का अंत करने के लिए हुआ था. कृष्ण ने ही संसार को “गीता” का ज्ञान भी दिया जो हर इंसान को भय मुक्त रहने का मंत्र देती है.
जन्माष्टमी व्रत (Janmashtami Vrat Vidhi in Hindi)
माना जाता है कि कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने से कई व्रतों के बराबर का पुण्य मिलता है. जो व्यक्ति जन्माष्टमी के व्रत को करता है, वह ऐश्वर्य और मुक्ति को प्राप्त करता है। भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित व्रत और पूजा बहुत ही सरल है. इसे कोई भी अपने सामर्थ्य के अनुसार कर सकता है.
Puja Vidhi for Krishna Janmashtami: जन्माष्टमी व्रत विधि
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि
जन्माष्टमी का व्रत सभी इच्छाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है. उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें. उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं और उसके बाद सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें. इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें:
ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
अब मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकी जी के लिए ‘सूतिका गृह’ नियत करें. इसके बाद श्रीकृष्ण की मूर्ति को स्थापित करना चाहिए. इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें. पूजन में देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः निर्दिष्ट करना चाहिए.
फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें:
‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामन॥
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः॥
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तु ते॥’
अंत में जन्माष्टमी की रात को प्रसाद वितरण करना चाहिए.
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