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एक ऑलराउंडर उस शख्स को कहा जाता है जो अपने कार्य में पूरी तरह निपुण हो. क्रिकेट की फिल्ड पर तो आपको कई ऑलराउंडर मिलते हैं लेकिन बॉलिवुड की पिच पर ऑलराउंडर को ढूंढ पाना बेहद मुश्किल है. लेकिन ऐसा नही है कि बॉलिवुड में कोई भी ऑलराउंडर नहीं है. बॉलिवुड की हर फिल्ड में खुद को साबित करने वाले एक महान कलाकार कादर खान भी हैं. कभी कलाकार तो कभी संवाद लेखक तो कभी स्क्रिप्ट लेखक हर भूमिका में कादर खान ने खुद को साबित किया है.
कादर खान : एक युग
एक समय ऐसा भी था जब बॉलिवुड की लगभग हर फिल्म की स्टार कास्ट के अंत में या तो प्राण या कादर खान का नाम आता ही था. यह वह दौर था जब फिल्में सिर्फ एक्शन या फूहड़ चुटकुलों से नहीं बेहतरीन डायलॉग से भरी होती थी. कादर खान के लिखे संवादों ने कई कलाकारों की जिंदगी बनाई. गोविंदा और अमिताभ की तो सफलता का एक बहुत बड़ा हाथ कादर खान द्वारा लिखे गए संवादों का रहा.
अमिताभ और कादर खान
अभिनेता कादर खान और अमिताभ बच्चन ने एक साथ कई फिल्में कीं. अदालत, सुहाग, मुकद्दर का सिकंदर, नसीब और कुली जैसी बेहद कामयाब फिल्मों में इन दोनों ने साथ काम किया. इसके अलावा कादर खान ने “अमर अकबर एंथनी”, “सत्ते पे सत्ता” और “शराबी” जैसी फिल्मों के संवाद भी लिखे. कादर खान अमिताभ बच्चन को लेकर खुद एक फिल्म बनाना चाहते थे पर उनकी यह तमन्ना अब तक पूरी नहीं हो सकी.
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गोविंदा और कादर खान
गोविंदा के साथ भी कादर खान ने कई फिल्मों में काम किया है. गोविंदा और कादर खान की कॉमेडियन जोड़ी की मिसाल आने वाले कई सालों तक दी जाएगी. दोनों की कॉमिक टाइमिंग और डायलॉग बोलने की क्षमता बेहद अद्भुत रही. दोनों ने एक साथ आंखे, कुली नंबर 1, साजन चले ससुराल जैसी कई सुपरहिट कॉमेडी फिल्मों में काम किया.
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कादर खान एक ऑलराउंडर
कादर खान ने अपने कॅरियर की शुरूआत एक शिक्षक के तौर पर की. यही कारण है कि कादर के अंदर एक शिक्षक, एक संवाद लेखक और एक अभिनेता तीनों एक साथ बसते हैं. फिल्म जगत में उन्होंने इसका भरपूर उपयोग किया. सत्तर और अस्सी के दशक में वह संवाद लेखक थे, वहीं एक दुष्ट खलनायक का भी किरदार निभाया जिसकी कुटिल मुस्कान खासी खतरनाक हुआ करती थी. उनकी वही खौफनाक मुस्कान वक्त के साथ हंसी के फुहारों में बदल गई. डेविड धवन की फिल्मों में गोविंदा के साथ उन्होंने दर्शकों को खूब लोट-पोट किया.
कादर खान का कॅरियर
दिलीप कुमार ने कादर खान को अपनी फिल्म ‘सगीना’ में काम करने का प्रस्ताव दिया. वर्ष 1974 में आई फिल्म ‘सगीना’ के बाद भी कादर खान को काफी संघर्ष करना पड़ा.
1977 की फिल्म ‘खून पसीना’ और ‘परवरिश’ ने उन्हें कामयाबी का स्वाद चखा दिया. इसके बाद तो मुकद्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवर लाल, सुहाग, अब्दुल्ला, दो और दो पांच, लूटमार, कुर्बानी, याराना, बुलंदी और नसीब जैसी बड़े बजट की फिल्मों में भी कादर खान को मौका मिला जहां उन्होंने संवाद लिखने के साथ फिल्म में किरदार भी निभाए.
वर्ष 1983 में प्रदर्शित फिल्म ‘कुली’ कादर खान के कॅरियर की सुपरहिट फिल्मों में से एक मानी जाती है. इसके बाद कादर खान ने कॉमेडी फिल्मों की तरफ रुख किया और वहां भी सफलता हासिल की.
वर्ष 1990 में प्रदर्शित फिल्म ‘बाप नंबरी बेटा दस नंबरी’ कादर खान के सिने कॅरियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट कॉमेडियन का खिताब भी मिला.
कादर खान ने अपने सिने कॅरियर में लगभग 300 फिल्मों में अभिनय किया है. उनकी अभिनीत फिल्मों में कुछ हैं मुक्ति, ज्वालामुखी, मेरी आवाज सुनो, जमाने को दिखाना है, सनम तेरी कसम, नौकर बीबी का, शरारा, कैदी, घर एक मंदिर, गंगवा, जान जानी जर्नादन, घर द्वार, तवायफ, पाताल भैरवी, इंसाफ की आवाज, स्वर्ग से सुंदर, वतन के रखवाले, खुदगर्ज, खून भरी मांग, आंखें, शतरंज, कुली नंबर वन, जुड़वा, हीरो नंबर वन, बड़े मियां छोटे मियां, सूर्यवंशम, हसीना मान जाएगी, फंटूश आदि.
इन दिनों कादर खान व्हील चेयर पर चलने को मजबूर हैं. उम्र की मार की वजह से हमेशा मुस्कराने वाला यह कलाकार आज भी सिनेमा के लिए कुछ करने का जज्बा रखता है. आज कादर खान फिल्मों से तो दूर हो गए हैं लेकिन दर्शकों के दिलों में आज भी बसे हुए हैं जिनकी हर अदा लोगों को हंसने पर मजबूर करती है.
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