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विलेन से लेकर कॉमेडियन तक हर किरदार में जान फूंक देने वाले कादर खान अब तक 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं. लेकिन उनकी प्रतिभा यहीं नहीं थमती. वह 80 से अधिक लोकप्रिय फिल्मों के लिए संवाद लिख कर उस दिशा में भी अपना लोहा मनवा चुके हैं.
अमिताभ की फिल्मों अमर अकबर एंथोनी, शराबी, लावारिस और कुली के संवाद आज भी अगर दर्शकों की जुबां पर हैं, बाप नंबरी बेटा दस नंबरी, तकदीरवाला, दूल्हे राजा, जुदाई, कुली नं0.. और राजा बाबू जैसी फिल्में लोगों को अगर अभी भी गुदगुदाती हैं तो उसका एक बड़ा कारण कादर खान ही हैं.
कादर खान का जन्म
कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर, 1935 को बलूचिस्तान में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. भारत पाक बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत में बस गया. कादर खान ने अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई उस्मानिया विश्वविद्यालय से पूरी की. इसके बाद उन्होंने अरबी भाषा के प्रशिक्षण के लिये एक संस्थान की स्थापना करने का निर्णय लिया.
कादर खान ने अपने कॅरियर की शुरूआत एक शिक्षक के तौर पर की. एक बार कॉलेज में हो रहे वार्षिक समारोह में कादर खान को अभिनय करने का मौका मिला. इस समारोह में अभिनेता दिलीप कुमार कादर खान के अभिनय से काफी प्रभावित हुए और अभिनय का पहला मौका उन्हें दिलीप कुमार ने दिया. यही कारण है कि कादर के अंदर एक शिक्षक, एक संवाद लेखक और एक अभिनेता तीनों एक साथ बसते हैं.
कादर खान का कॅरियर
दिलीप कुमार ने कादर खान को अपनी फिल्म ‘सगीना’ में काम करने का प्रस्ताव दिया. वर्ष 1974 में आई फिल्म ‘सगीना’ के बाद भी कादर खान को काफी संघर्ष करना पड़ा. ‘दिल दीवाना’, ‘बेनाम’, ‘उमर कैद’, ‘अनाड़ी’ और बैराग जैसी औसत फिल्मों के साथ वह बॉलिवुड मॆं बने हुए तो थे पर उन्हें सफलता हासिल नहीं थी.
लेकिन 1977 की फिल्म ‘खून पसीना’और ‘परवरिश’ ने उन्हें कामयाबी का स्वाद चखा दिया. इसके बाद तो मुकद्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवर लाल, सुहाग, अब्दुल्ला, दो और दो पांच, लूटमार, कुर्बानी, याराना, बुलंदी और नसीब जैसी बड़े बजट की फिल्मों में भी कादर खान को मौका मिला जहां उन्होंने संवाद लिखने के साथ फिल्म में किरदार भी निभाए.
वर्ष 1983 में प्रदर्शित फिल्म ‘कुली’ कादर खान के कॅरियर की सुपरहिट फिल्मों में से एक मानी जाती है. इसके बाद कादर खान ने कॉमेडी फिल्मों की तरफ रुख किया और वहां भी सफलता हासिल की. गोविंदा के साथ उन्होंने कई बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों में काम किया जिसे देख हम आज भी हंसे बिना नहीं रह पाते. दूल्हे राजा, कुली नं.1 और राजा बाबू जैसी फिल्मों में कादर खान और गोविंदा की जोड़ी ने दर्शकों को खूब हंसाया.
वर्ष 1990 में प्रदर्शित फिल्म ‘बाप नंबरी बेटा दस नंबरी’ कादर खान के सिने कॅरियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट कॉमेडियन का खिताब भी मिला.
कादर खान और शक्ति कपूर
कादर खान के सिने करियर में उनकी जोड़ी अभिनेता शक्ति कपूर के साथ काफी पसंद की गयी. इन दोनों अभिनेताओं ने अब तक लगभग 100 फिल्मों में एक साथ काम किया है.
सत्तर और अस्सी के दशक में वह संवाद लेखक थे, वहीं एक दुष्ट खलनायक भी, जिसकी कुटिल मुस्कान खासी खतरनाक हुआ करती थी. उनकी वही खौफनाक मुस्कान वक्त के साथ हंसी के फुहारों में बदल गई. डेविड धवन की फिल्मों में गोविंदा के साथ उन्होंने दर्शकों को खूब लोट-पोट किया.
हालांकि वक्त के साथ वह रूपहले पर्दे से दूर होते गए लेकिन जिस गालिब और मंटों की रचनाओं से प्रेरणा पाकर उन्होंने इतना कुछ लिखा, आजकल वह उन्हीं पर काम कर रहे हैं. गालिब की गजलों को कैसे गाया जाए, इसके लिए वह सीडी तैयार कर रहे हैं. इकबाल और कबीर पर भी काम जारी है. फिल्म जगत की नई पीढ़ी के साथ काम करने में वह सहज महसूस नहीं करते. उनका कहना है कि आज की पीढ़ी कम्प्यूटर साइंस, तकनीक और बिजनेस मैनेजमेंट पर ज्यादा निर्भर है जबकि शब्दों और अभिनय में जान अनुभव से आती है.
कादर खान ने अपने सिने कॅरियर में लगभग 300 फिल्मों में अभिनय किया है. उनकी अभिनीत फिल्मों में कुछ हैं मुक्ति, ज्वालामुखी, मेरी आवाज सुनो, जमाने को दिखाना है, सनम तेरी कसम, नौकर बीबी का, शरारा, कैदी, घर एक मंदिर, गंगवा, जान जानी जर्नादन, घर द्वार, तवायफ, पाताल भैरवी, इंसाफ की आवाज, स्वर्ग से सुंदर, वतन के रखवाले, खुदगर्ज, खून भरी मांग, आंखें, शतरंज, कुली नंबर वन, जुड़वा, हीरो नंबर वन, बड़े मियां छोटे मियां, सूर्यवंशम, हसीना मान जाएगी, फंटूश आदि.
आज कादर खान फिल्मों से तो दूर हो गए हैं लेकिन दर्शकों के दिलों में आज भी बसे हुए हैं जिनकी हर अदा लोगों को हंसने पर मजबूर करती है.
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