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उत्तर प्रदेश में कभी दलित वोट बैंक कांग्रेस का सबसे खास जनाधार माना जाता था. पार्टी के उम्मीदवारों की जीत में यह वर्ग एक अहम भूमिका निभाता था लेकिन जब बहुजन समजवादी पार्टी के संस्थापक और दलितों के महानायक कांशीराम (Kanshi Ram Profile in Hindi) ने उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक को अपने साथ लेने की मुहिम शुरू की तो कोई सोच भी नहीं सकता था कि यह मुहिम एक दिन उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने तक भी जा पहुंचेगी.
एक मजबूत जनाधार वाली पार्टी
आज जो उत्तर प्रदेश में बहुजन समजवादी पार्टी की स्थिति है वह एक मजबूत विपक्षी पार्टी के रूप में है. अगर उत्तर प्रदेश की जनता बीएसपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाकर सपा को एक मजबूत विकल्प के रूप में देखती है तो कुछ समय बाद यही जनता सपा के कुप्रशासन से तंग आकर बीएसपी को सत्ता की चाभी देने में देर नहीं लगाती. कहने का मतलब यह है कि जिस पार्टी की स्थापना कांशीराम ने उत्तर प्रदेश में की थी आज वह ऐसी स्थिति में पहुंच गई है कि जनता यदि विकल्प के बारे में सोचती है तो वह बीएसपी पर विचार करेगी न की कांग्रेस और भाजपा पर.
गरीबों के दुखदर्द को समझने वाले
कांशीराम ने अपना सारा जीवन गरीबों और दलितों के उत्थान में लगा दिया. कांशीराम का उद्देश्य ‘सर्व जनहिताय, सर्व जनसुखाय’ रहा. वह उन लोगों में से थे जो अपना सुख आराम त्याग कर गरीबों की सेवा में अपना जीवन न्यौछावर कर देते हैं. जिंदगी भर अविवाहित रहकर, बिना किसी लाभ के पद पर रहे हुए उन्होंने बीएसपी और दलित समाज को संगठित किया. सोशल इंजीनियरिंग का उन्होंने जो सफल मंत्र दिया वह भारतीय इतिहास में अद्वितीय है. देश में ऐसे प्रतिभाशाली और क्रांतिकारी प्रवृत्ति के नेता बहुत कम हैं लेकिन इनकी सोच और सर्वजन हिताय की सोच को आज बीएसपी शायद भूल चुकी है.
इन खिलाड़ियों को नहीं बर्दाश्त हो रही है हार
पार्टी में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं बढ़ चुकी हैं. जिस सोच को देखते हुए इस पार्टी की स्थापना हुई थी आज यह पार्टी कुप्रशासन और भ्रष्टाचार में तब्दील हो गई है. दलितों से जुड़ी समस्याओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है और पार्टी के लोग एक महिला की पूजा करने में व्यस्त हैं. अगर बीएसपी चाहती है कि स्थिति वाकई बदले तो उसे मूर्तियों और अकूत दौलत जमा करने पर कम और दलितों और पिछड़े वर्ग पर ज्यादा ध्यान देना होगा.
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