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मशहूर भारतीय चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन(Maqbool Fida Husain) का 09 जून, 2011 को लंदन के रायल ब्राम्पटन अस्पताल(Royal Brompton hospital) में निधन हो गया. वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. हिंदू देवी-देवताओं के विवादस्पद चित्र बनाने के बाद एमएफ हुसैन को हिंदू संगठनों के विरोध के कारण भारत छोड़ना पड़ा था. 2010 में हुसैन को कतर(Qatar) ने नागरिकता देने का प्रस्ताव दिया था जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया था लेकिन कुछ वजहों से वह पिछले काफी समय से लंदन में रह रहे थे. वह 95 वर्ष के थे और वर्ष 2006 से देश से बाहर आत्म-निर्वासित जीवन बिता रहे थे. अपनी पेंटिंग्स के जरिए लोकप्रियता हासिल करने वाले फिदा हुसैन लंग कैंसर से पीड़ित थे.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1991 में पद्म विभूषण(Padma Vibhushan) से सम्मानित हुसैन एक बेहतरीन चित्रकार थे लेकिन वह हमेशा विवादों से घिरे रहे और बाद में हिंदू देवी देवताओं के अश्लील चित्र बनाने की वजह से देश भर में उनकी काफी निंदा हुई जिसकी वजह से उन्हें भारत की नागरिकता छोड़नी पड़ी. कहते हैं जब इंसान हद से ज्यादा बुद्धिमान बन जाता है तो उसकी बुद्धि सही या गलत में अंतर नहीं देख पाती और शायद ऐसा ही कुछ एमएफ हुसैन के साथ भी हुआ.
M. F. Husain s Life: एम.एफ. हुसैन का जीवन
भारते के पिकासो(Picasso of India) के नाम से मशहूर एम. एफ. हुसैन का जन्म 17 सितंबर, 1915 को महाराष्ट्र के पंढरपुर(Pandharpur) में हुआ था. जब वे 2 साल के थे, तभी उनकी मां का निधन हो गया. मां की मृत्यु होने के बाद भी हुसैन के जीवन में संघर्षों का दौर जारी रहा. महाराष्ट्र छोड़कर इंदौर में शिफ्ट होने के बाद मकबूल फिदा हुसैन ने यहां अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए दुबारा मुंबई वापस आ गए. 1935 में उन्होंने जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया .
Career of M. F. Husain
फिल्मों के बैनर, पोस्टर और होर्डिंग बनाकर हुसैन ने चित्रकारी की दुनियां में कदम रखा. 1940 के बाद से उनके काम को मान्यता और प्रसिद्धि मिलनी शुरू हो गई. 1947 में उन्होंने प्रोगेसिव आर्ट ग्रुप(Progressive Artists’ Group) में सदस्यता ले ली जिससे उनके कॅरियर को नई दिशा मिली. धीरे धीरे ही सही हुसैन कामयाबी की सीढ़िया चढ़ते रहे.
1952 में पहली बार उनके चित्रों की एकल प्रदर्शनी ज्युरिक(Zürich) में लगी और इसके कुछ ही सालों बाद विदेशों में उनकी मांग बढ़ती चली गई. अलग शैली और लीक से हटकर अलग-अलग विषयों पर चित्र बनाने वाले एम.एफ.हुसैन ने जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1955 में उन्हें कला के क्षेत्र में अविश्वसनीय सहयोग देने के लिए पद्म श्री(Padma Shri) का पुरस्कार दिया गया.
1967 में उन्होंने पहली फिल्म बनाई थ्रू द आइस ऑफ ए पेंटर(Through the Eyes of a Painter). इसे बर्लिन के फिल्म महोत्सव(Berlin Film Festival) में गोल्डन बीयर(Golden Bear) का अवॉर्ड भी मिला.
1971 में उन्हें विश्व प्रसिद्ध चित्रकार पाबलो पिकासो (Pablo Picasso) की तरफ से एक प्रदर्शनी में मिलने का निमंत्रण भी मिला. पाबलो पिकासो दुनियां के महानतम चित्रकारों में से एक माने जाते हैं और कहा जाता है कि एम.एफ.हुसैन और पाबलो पिकासो की शैली में काफी समानता है.
1973 में उन्हें पद्मभूषण(Padma Bhushan) और 1991 में पद्म विभूषण (Padma Vibhushan)के पुरस्कार से नवाजा गया. 1986 में कला के क्षेत्र में अतिविशिष्ट कार्य करने के लिए उन्हें राज्य सभा में भी नामांकित किया गया था.
एम. एफ. हुसैन ने चित्रकारी के साथ फिल्मों में भी अपना हाथ आजमाया. माधुरी दीक्षित(Madhuri Dixit) की खूबसूरती से प्रेरित होकर उन्होंने “गजगामिनी”(Gaja Gamini) बनाई तो तब्बू के सौन्दर्य से मुग्ध होकर “मीनाक्षी”(Meenaxi) बनाई जो बेहद सफल फिल्में रहीं.
हुसैन और उनके विवाद (Controversies and M. F. Husain)
1990 तक हुसैन साहब भारत के सबसे महंगे चित्रकारों में गिने जाने लगे जिनकी एक पेंटिंग की कीमत 2 मीलियन डॉलर भी थी. लेकिन इसी दौर में उनके साथ काफी विवाद भी सामने आए. 1990 में पहली बार उन पर हिंदू देवी देवताओं के अश्लील और नग्न पेंटिंग(Nude portrayal of Hindu deities) बनाने का मामला सामने आया. हालांकि यह चित्र 1970 में बनाए गए थे पर 1996 में “विचार मीमांसा”( Vichar Mimansa) नामक एक मासिक पत्रिका द्वारा एम.एफ.हुसैन के ऊपर लगाए लगे आरोपों के बाद से मामला ज्यादा गर्मा गया. इस वजह से एम.एफ. हुसैन पर 18 मामले भी दर्ज हुए. हालांकि साल 2004 में एम.एफ. हुसैन को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिल गई.
लेकिन साल 2006 में एक अन्य मामले में उन्हें हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने का दोषी पाया गया. 2006 में इंडिया टुडे(India Today) की मैगजीन के कवर पेज पर भारत माता की नग्न तस्वीर(Bharatmata (Mother India) as a nude woman) की वजह से एम.एफ.हुसैन(M. F. Husain) की काफी आलोचना हुई. इस फोटो में एक युवती को भारत माता का प्रतिबिंब दर्शाया गया था जो नग्न थी और भारत के मानचित्र पर लेटी हुई थी.
लेकिन तमाम विवादों के बाद भी एम.एफ. हुसैन(M. F. Husain) की चित्रकारी का एक अलग ही अंदाज था जिसे उन्होंने आखिरी समय तक नहीं छोड़ा. साल 2006 में भारी विद्रोह और जान से मारने की धमकियों की वजह से वह देश के बाहर ही रहे. साल 2010 में “कतर” ने उन्हें अपने देश की नागरिकता प्रदान की.
तमाम विवादों के बाद भी देश में कई ऐसे लोग हैं जो एम.एफ. हुसैन को “भारत रत्न” योग्य मानते थे. कला के क्षेत्र में एम.एफ. हुसैन ने काफी सहयोग दिया है. चित्रकारी में देश की पहचान बनकर एम.एफ. हुसैन ने दुनिया भर में नाम कमाया.
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